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मन न-दानम बाद:-अम या बाद: रा पैमान:अम

शाह वलीउल्लाह देहलवी

मन न-दानम बाद:-अम या बाद: रा पैमान:अम

शाह वलीउल्लाह देहलवी

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    मन न-दानम बाद:-अम या बाद: रा पैमान:अम

    आ'शिक़-ए-शोरीद:-अम या इश्क़-बा-जानान:अम

    नहीं मा’लूम कि मैं शराब हूँ या पैमाना हूँ

    परेशान आ’शिक़ हूँ या किसी के इ’श्क़ में गिरफ़्तार हूँ

    मुब्तला-ए-हैरतम जाँ गोयमत या जान-ए-जाँ

    इस्तिलाह-ए-शौक़ बिसयार अस्त मन दीवान:अम

    परेशान हूँ कि तुम्हें जान कहूँ या जान-ए-जाँ कहूँ

    बातें बहुत हैं मगर मैं दीवाना हूँ

    मैल-ए-हर-उन्सुर बुवद सू-ए-मक़र्र-ए-असली-अश

    जज़्ब:-ए-अस्लस्त सिर्र-ए-सोज़िश-ए-मस्तान:अम

    हर ज़र्रा अपने ठिकाने पर पहुँचना चाहता है,

    अस्ल तक पहुँचना तो है मगर मैं मस्तों के जलने का राज़ हूँ

    शौक़-ए-मूसा दर ज़ुहूर आवुर्द नार-ए-तूर रा

    दर निहाद-ए-शम्अ' आतिश मी-ज़नद परवान:-अम

    मूसा के शौक़ से तूर की आग प्रकट हुई

    शम्अ’ को जलाने वाला ख़ुद पर्वाना है

    'अमीं' बर मस्तेम-अम नाम-ए-तजद्दुद तोहमत अस्त

    दर अज़ल पेश अज़ ज़माँ ता'मीर शुद मय-ख़ान:अम

    ‘अमीन’ मेरी मस्ती को नई बात कहना आरोप है

    क्योंकि दुनिया के बनने से पहले ही मेरा मय-ख़ाना बन गया था

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