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Sufinama

आवो हो रामैया मेरे आंगणे, हरि अकल भवन के राइ।।

महाराज अमरपुरुष जी

आवो हो रामैया मेरे आंगणे, हरि अकल भवन के राइ।।

महाराज अमरपुरुष जी

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    आवो हो रामैया मेरे आंगणे, हरि अकल भवन के राइ।।

    तुम बिन खडी आलगै, हरि महल विराजो आइ।।

    अबला के वल को नहीं, तुम सकल वियापी राइ।।

    दरस दिखावो आपनो, दिन दिन घटती जाइ।।

    औगण सबही मेटिए, मेरा कछून पांन।।

    दरदन भाजै तुम बिना, साहिब कंत सुजान।।

    मेरे तुम बिन को नहीं, वोड निवाहन हार।।

    दाद सुनो हो मेरडी, मिलिए सिरजन हार।।

    जन सेवादास यूं वीनवै, सुनिए देव मुरार।।

    आरतवंती जानिकै, हिल मिल धौ दीदार।।

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