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एसै प्रगट पीव संगि खेलिये हो, हां हो होइ मगन मन मांहि - राग काफी

महाराज अमरपुरुष जी

एसै प्रगट पीव संगि खेलिये हो, हां हो होइ मगन मन मांहि - राग काफी

महाराज अमरपुरुष जी

MORE BYमहाराज अमरपुरुष जी

    एसै प्रगट पीव संगि खेलिये हो, हां हो होइ मगन मन मांहि।।

    एसै प्रगट पीव संगि खेलिये हो, हां हो होइ मगन मन मांहि।।

    होइ निसंक पीव संगि खेलूं, संकन आंणै कोइ।।

    निर्भय हो कै खेलिये हो, खेलिर मांहि समोइ।।

    सखी सहेली साथ ले हो, निसदिन रहूँ हजूर।।

    सेझ सनेही आइ विराजे, निरखूं में निसदिन नूर।।

    को गति लोग नगर को आयो, खेल वण्यों अति झींण।।

    अनहद बाजा बाजै है हो, मधुरी वाजै हो वींण।।

    इसो फाग हम कबहुन देख्यो, आनन्द बढयो अपार।।

    जन सेवादास अब सुख भया हो, सहजि लंघै भवपार।।

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