Font by Mehr Nastaliq Web

ठुमरी- तिरछी चितवन मतवारी चाल जियामा मोरे बस गई रे।

उल्फत राय राजा मस्तपिया

ठुमरी- तिरछी चितवन मतवारी चाल जियामा मोरे बस गई रे।

उल्फत राय राजा मस्तपिया

MORE BYउल्फत राय राजा मस्तपिया

    तिरछी चितवन मतवारी चाल जियामा मोरे बस गई रे।

    पग धरत धरत मन मोहे लेत, कर मधुर बचन दुख मोहे देत।।

    लट लटक लटक सुधि खोये देत, नागिन ह्वै डस गई रे।।

    हम मन मोहन मन लीन छीन धर अधर मधुर बंसी नवीन।

    टोना सा कछु पढ़ फूँक दीन, बौरानी सी ह्वै गई रे।।

    लोचन विशाल दोउ लाल, मन मस्त मस्त भयो देख भाल।

    कर प्रेम जाल कीन्हो बेहाल, बेबस हो फंस गई रे।।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए