ठुमरी- बाट चलत मोरी रोकत डगरिया ढीठ लंगर जसुदा को कन्हैया।
ठुमरी- बाट चलत मोरी रोकत डगरिया ढीठ लंगर जसुदा को कन्हैया।
मुस्तफ़ा ख़ान यकरंग
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बाट चलत मोरी रोकत डगरिया ढीठ लंगर जसुदा को कन्हैया।
लपट झपट मोरी गागर फोरी मसक गई मोरी सारी चुनरिया।।
बर जोरी मोरी बहियां मरोरी लचक गई मोरी पतरी कमरिया।
'यकरंग' पिया कहो कैसी करूं मैं अब ही निपट मोरी बाली उमरिया।।
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