'सरमद' ग़म-ए-'इश्क़ बुल-हवस रा न-दहन्द
'सरमद' ग़म-ए-'इश्क़ बुल-हवस रा न-दहन्द
सोज़-ए-दिल परवानः मगस रा न-दहन्द
’उम्रे बायद कि यार आयद ब-कनार
ईं दौलत-ए-‘सरमद’ हमः कस रा न-दहन्द
'सरमद' ग़म-ए-इश्क़ बुल-हवस को न दिया
सोज़-ए-दिल-ए-परवानः मगस को न दिया
एक उम्र गुज़रने ही पे मिलता है वो दोस्त
ये वह है शरफ़ जो ख़ार-ओ-ख़स को न दिया
- पुस्तक : रुबाइयात-ए-सरमद (पृष्ठ 118)
- रचनाकार : सरमद शहीद
- प्रकाशन : इंडियन काउंसिल फॉर कलचरल रिलेशंस, दिल्ली (1992)
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