मदीने वाले हुज़ूर-ए-अनवर सलाम ले लो सलाम ले लो
रोचक तथ्य
موسیٰ آزاد قوال کی آواز میں پڑھا گیا سلام۔
मदीने वाले हुज़ूर-ए-अनवर सलाम ले लो सलाम ले लो
ग़रीब उम्मत के प्यारे रहबर सलाम ले लो सलाम ले लो
तरसती आँखों को शाह-ए-वाला ख़ुदारा अपना दिखाओ जल्वा
तड़प के कहता है क़ल्ब-ए-मुज़्तर सलाम ले लो सलाम ले लो
अज़ल से दिल में यही है हसरत कि देख लूँ मुस्तफ़ा की सूरत
जो हुक्म हो तो मैं आऊँ दर पर सलाम ले लो सलाम ले लो
ग़रीब उम्मत को आसरा दो कि रंज-ओ-ग़म से हमें छुड़ा दो
ये इल्तिजा है शफ़ीअ'-ए-महशर सलाम ले लो सलाम ले लो
'हुनर' की है बा-अदब गुज़ारिश इधर भी हो या नबी नवाज़िश
बुला के मुझ को भी अपने दर पर सलाम ले लो सलाम ले लो
- पुस्तक : Moosa Azad Qawwal, Part 1 (पृष्ठ 16)
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