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मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम

अहमद रज़ा ख़ान

मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम

अहमद रज़ा ख़ान

MORE BYअहमद रज़ा ख़ान

    मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम

    शम्'-ए-बज़्म-ए-हिदायत पे लाखों सलाम

    मोहर-ए-चर्ख़-ए-नबुव्वत पे रौशन दरूद

    गुल-ए-बाग़-ए-रिसालत पे लाखों सलाम

    शहरयार-ए-इरम ताजदार-ए-हरम

    नौ-बहार-ए-शफ़ाअ'त पे लाखों सलाम

    शब-ए-इसरा के दूल्हा पे दाएम दरूद

    नौशा-ए-बज़्म-ए-जन्नत पे लाखों सलाम

    'अर्श की ज़ेब-ओ-ज़ीनत पे ‘अर्शी दरूद

    फ़र्श की तीब-ओ-नुज़हत पे लाखों सलाम

    नूर ’ऐन-ए-लताफ़त पे उल्फ़त दरूद

    ज़ेब-ओ-ज़ीन-ए-नज़ाफ़त पे लाखों सलाम

    सर्व-ए-नाज़-ए-क़ेदम मग़्ज़-ए-राज़-ए-हिकम

    यक्का ताज़-ए-फ़ज़ीलत पे लाखों सलाम

    नुक़्ता-ए-सर वहदत पे यकता दरूद

    मर्कज़ दूर कसरत पे लाखों सलाम

    साहिब रजत शमस-ओ-शक़ अलक़मर

    नायब दस्त क़ुदरत पे लाखों सलाम

    जिस के ज़ेर लौह आदम-ओ-मन सिवा

    इस सज़ाए सियादत पे लाखों सलाम

    अर्शता फ़र्श है जिस के ज़ेर नगीं

    इस की क़ाहिर रियासत पे लाखों सलाम

    असल हर बूद-ओ-बहबूद तुख़्म वजूद

    क़ासिम कंज़ ने'मत पे लाखों सलाम

    फ़तह बाब नबुव्वत पे बेहद दरूद

    ख़त्म दौर रिसालत पे लाखों सलाम

    शिर्क़ अनवार क़ुदरत पे नूरी दरूद

    फ़तक़ अज़्हार क़ुदरत पे लाखों सलाम

    बे सहीम-ओ-क़सीम-ओ-अदील-ओ-मसील

    जौहर फ़र्द इज़्ज़त पे लाखों सलाम

    सर ग़ैब हिदायत पे ग़ैबी दरूद

    इत्र जेब निहायत पे लाखों सलाम

    माह लाहूत ख़ल्वत पे लाखों दरूद

    शाह नासूत जल्वत पे लाखों सलाम

    कंज़ हर बेकस-ओ-बेनवा पर दरूद

    हिर्ज़ हर रफ़्ता ताक़त पे लाखों सलाम

    पर्तो इस्म-ए-ज़ात अह्द पर दरूद

    नुस्ख़ा-ए-जामईयत पे लाखों सलाम

    मतला हर सआ'दत पे असअ'द दरूद

    मक़ता हर सियादत पे लाखों सलाम

    ख़लक़ के दाद रस सब के फ़र्याद रस

    कहफ़ रोज़ मुसीबत पे लाखों सलाम

    मुझ से बेकस की दौलत पे लाखों दरूद

    मुझ से बेबस की क़ुव्वत पे लाखों सलाम

    शम्मा बज़्म दना हो में गुम कुन अना

    शरह मतन हवेत पे लाखों सलाम

    इंतिहाए दोई इब्तदाए युकी

    जमा तफ़रीक़-ओ-कसरत पे लाखों सलाम

    कसरत बाद क़िल्लत पे अक्सर दरूद

    इज़्ज़त बाद ज़िल्लत पे लाखों सलाम

    रब आला की ने'मत पे आला दरूद

    हक़तआला की मिन्नत पे लाखों सलाम

    हम ग़रीबों के आक़ा पे बेहद दरूद

    हम फ़क़ीरों की सर्वत पे लाखों सलाम

    फ़र्हत जान मोमिन पे बेहद दरूद

    ग़ैज़ किसी ज़लालत पे लाखों सलाम

    सबब हर सबब मुंतहाए तलब

    इ'ल्लत जुमला इ'ल्लत पे लाखों सलाम

    मुसद्दिर मज़हरीयत पे अज़हर दरूद

    मज़हर मसदरीत पे लाखों सलाम

    जिस के जलवे से मुरझाई कलियां खुलीं

    इस गिल पाक मम्बत पे लाखों सलाम

    क़द बे साया के साया-ए-मर्हमत

    ज़ुल ममदूद राफ़त पे लाखों सलाम

    ताइर इन क़ुदस जिस की हैं क़मरीयाँ

    इस सही सर्व क़ामत पे लाखों सलाम

    वस्फ़ जिस का है आईना-ए-हक़ नुमा

    इस ख़ुदा साज़ तलअ'त पे लाखों सलाम

    जिस के आगे सर सरूरां ख़म रहें

    इस सरताज रिफ़अत पे लाखों सलाम

    वो करम की घटा गैसवे मुश्कसा

    लुका-ए-अब्र राफ़त पे लाखों सलाम

    लील अलक़द्र में मतला उल-फ़जर हक़

    मांग की इस्तक़ामत पे लाखों सलाम

    लख़्त लख़्त दिल हर जिगर चाक से

    शाना करने की आदत पे लाखों सलाम

    दूर-ओ-नज़दीक के सुनने वाले वो कान

    कान चश्मम करामत पे लाखों सलाम

    चश्मा-ए-महर में मौज नूर जलाल

    इस रग हाशमीत पे लाखों सलाम

    जिस के माथे शफ़ाअत का सहरा रहा

    इस जबीन सआ'दत पे लाखों सलाम

    जिन के सजदे को महराब का'बा झक्की

    अनुभवों की लताफ़त पे लाखों सलाम

    इन की आँखों पे वो साया अफ़्गन मुज़ा

    ज़िला-ए-क़सर रहमत पे लाखों सलाम

    अश्कबारी मझ़गां पे बरसे दरूद

    सिल्क दर शफ़ाअत पे लाखों सलाम

    मानी क़द रा मक़्सद मातग़ा

    नर्गिस बाग़ क़ुदरत पे लाखों सलाम

    जिस तरफ़ उठ गई दम में दम गया

    इस निगाह इनायत पे लाखों सलाम

    नीची आँखों की श्रम-ओ-हया पर दरूद

    ऊंची बीनी की रिफ़अत पे लाखों सलाम

    जिन के आगे चराग़ क़मर झलमलाए

    इन इज़ारों की तलअ'त पे लाखों सलाम

    इन के ख़द की सहूलत पे बेहद दरूद

    इन के क़द की रशाकत पे लाखों सलाम

    जिस से तारीक दिल जगमगाने लगे

    इस चमक वाली रंगत पे लाखों सलाम

    चांद से मुँह पे ताबाँ दरख़्शाँ दरूद

    नमक आगीं सबाहत पे लाखों सलाम

    शबनम बाग़ हक़ या'नी रुख़ का अर्क़

    इस की सच्ची बराकत पे लाखों सलाम

    ख़त की गर्द दहन वो दिल आरा फबन

    सब्ज़ा-ए-नहर रहमत पे लाखों सलाम

    रीश ख़ुश मो'तदिल मरहम रीश दिल

    हाला-ए-माह नुदरत पे लाखों सलाम

    पतली पतली गुल क़ुद्स की पत्तियां

    इन लबों की नज़ाकत पे लाखों सलाम

    वो दहन जिस की हर बात वही ख़ुदा

    चश्मा-ए-इलम-ओ-हिक्मत पे लाखों सलाम

    जिस के पानी से शादाब जान-ओ-जनां

    इस दहन की तरावत पे लाखों सलाम

    जिस से खारी कुँवें शेरा-ए-जां बने

    इस ज़लाल हलावत पे लाखों सलाम

    वो ज़बाँ जिस को सब कन की कुंजी कहीं

    इस की नाफ़िज़ हुकूमत पे लाखों सलाम

    इस की प्यारी फ़साहत पे बेहद दरूद

    इस की दिलकश बलाग़त पे लाखों सलाम

    इस की बातों की लज़्ज़त पे बेहद दरूद

    इस के ख़ुत्बे की हैबत पे लाखों सलाम

    वो दुआ' जिस का जोबन क़बूल बिहार

    इस नसीम इजाबत पे लाखों सलाम

    जिन के गुच्छे से लच्छे झडें नूर के

    इन सितारों की नुज़हत पे लाखों सलाम

    जिस की तस्कीं से रोते हुए हंस पढ़ें

    इस तबस्सुम की आदत पे लाखों सलाम

    जिस में नहरें हैं शेयर शुक्र की रवां

    इस गले की नज़ारत पे लाखों सलाम

    दोष बर्दोश है जिन से शान शरफ़

    में शानों की शौकत पे लाखों सलाम

    हज्र-ए-असवद काबा-ए-जान-ओ-दिल

    या'नी महर नबुव्वत पे लाखों सलाम

    रोय आईना-ए-इलम पुश्त हुज़ूर

    पुश्ती क़स्र मिल्लत पे लाखों सलाम

    हाथ जिस सम्त उठा ग़नी कर दिया

    मौज बहर समाहित पे लाखों सलाम

    जिस को बार दो आलम की पर्वा नहीं

    में बाज़ू की क़ुव्वत पे लाखों सलाम

    काबा-ए-दीन-ओ-ईमां के दोनों सत्तों

    साइदेन रिसालत पे लाखों सलाम

    जिस के हर ख़त में है मौज नूर करम

    इस कफ़ बहर हिम्मत पे लाखों सलाम

    नूर के चश्मे लहराएँ दरिया बहीं

    उंगलीयों की करामत पे लाखों सलाम

    ईद मुश्किल कुशाई के चमके हिलाल

    नाखुनों की बशारत पे लाखों सलाम

    रफ़ा ज़िक्र जलालत पे अरफ़ा दरूद

    शरह सद्र सदारत पे लाखों सलाम

    दिल समझ से वरा है मगर यौं कहूं

    गुंचा-ए-राज़ वहदत पे लाखों सलाम

    कल जहँ मुलक और जो की रोटी ग़िज़ा

    इस शिकम की क़नाअत पे लाखों सलाम

    जो कि अ'ज़्म शफ़ाअत पे खिंच कर बंधी

    इस कमर की हिमायत पे लाखों सलाम

    अंबिया ता करें ज़ानू उन के हुज़ूर

    ज़ानूओं की वजाहत पे लाखों सलाम

    साक असल क़दम शाख़ नख़्ल करम

    शम्मा राह इसाबत पे लाखों सलाम

    खाई क़ुरआँ ने ख़ाक गुज़र की क़सम

    इस कफ़-ए-पा की हुर्मत पे लाखों सलाम

    जिस सुहानी घड़ी चमका तैबा का चांद

    इस दल अफ़रोज़ साअ'त पे लाखों सलाम

    पहले सजदे पे रोज़ अज़ल से दरूद

    यादगारी उम्मत पे लाखों सलाम

    ज़रा शादाब-ओ-हर ज़रा पर शेयर से

    बर्कात रज़ाअत पे लाखों सलाम

    भाईयों के लिए तर्क पिस्ताँ करें

    दूध पीतों की निसफ़त पे लाखों सलाम

    मह्द वाला की क़िस्मत पे सदहा दरूद

    बज्र माह रिसालत पे लाखों सलाम

    अल्लाह अल्लाह वो बचपने की फबन!

    इस ख़ुदा भाती सूरत पे लाखों सलाम

    उठते बूटों की नश्व-ओ-नुमा पर दरूद

    खुलते ग़ुंचों की निकहत पे लाखों सलाम

    फ़ज़ल पैदाईशी पर हमेशा दरूद

    खेलने से कराहत पे लाखों सलाम

    आतलाए जिबिल्लत पे आली दरूद

    एतिदाल तवेत पे लाखों सलाम

    बे बनावट अदा पर हज़ारों दरूद

    बेतकल्लुफ़ मलाहत पे लाखों सलाम

    भीनी भीनी महक पर महकती दरूद

    प्यारी प्यारी नफ़ासत पे लाखों सलाम

    मीठी मीठी इबारत पे शीरीं दरूद

    अच्छी अच्छी इशारत पे लाखों सलाम

    सीधी सीधी रविश पर करोरों दरूद

    सादी सादी तबीअत पे लाखों सलाम

    रोज़ गर्म-ओ-शब तेराह-ओ-तार में

    कोह-ओ-सहरा की ख़लवत पे लाखों सलाम

    जिस के घेरे में हैं अनबया-ओ-मुलक

    इस जहांगीर बिअसत पे लाखों सलाम

    उधय शीशे झलाझल दमकने लगे

    जलवा रेज़ी दावत पे लाखों सलाम

    लुतफ़ बेदारी शब पे बेहद दरूद

    आलम-ए-ख़्वाब राहत पे लाखों सलाम

    ख़ंदा-ए-सुबह इशरत पे नूरी दरूद

    गिरिया-ए-अबर-ए-रहमत पे लाखों सलाम

    नरमी खोए लेंत पे दाइम दरूद

    गर्मी शान सतवत पे लाखों सलाम

    जिस के आगे खिंची गर्दनें झुक गईं

    इस ख़ुदा-दाद शौकत पे लाखों सलाम

    किस को देखा ये मूसा से पूछे हैं

    आँखों वालों की हिम्मत पे लाखों सलाम

    गर्द मह दस्त अंजुम में रख़्शाँ हिलाल

    बदर की दफ़ा ज़ुल्मत पे लाखों सलाम

    शोर तकबीर से थरथराती ज़मीं

    जुंबिश जैश नुसरत पे लाखों सलाम

    नारहाए दिलेराँ से बिन गूंजते

    गिरिश कोस जुर्रत पे लाखों सलाम

    वो चुका चाक़ ख़ंजर से आती सदा

    मुस्तफ़ा तेरी सौलत पे लाखों सलाम

    इन के आगे वो हमज़ा की जाँ बाज़ीयां

    शेर गिराँ सतवत पे लाखों सलाम

    उल-ग़र्ज़ उन के हर मू पे लाखों दरूद

    इन की हर ख़ू-ओ-ख़सलत पे लाखों सलाम

    इन के हर नाम-ओ-निसबत पे नामी दरूद

    इन के हरवक़त-ओ-हालत पे लाखों सलाम

    इन के मौला की उन पर करोरों दरूद

    इन के अस्हाब-ओ-इतरत पे लाखों सलाम

    पारहाए सहफ़ ग़ुंचः हाय क़ुद्स

    अहल-ए-बैत नबुव्वत पे लाखों सलाम

    आब ततहीर से जिस में पौदे जमे

    इस रियाज़ नजाबत पे लाखों सलाम

    ख़ून ख़ैर अलरसल से है जिन का ख़मीर

    इन की बेलौस तैनत पे लाखों सलाम

    इस बतूल जिगर पारा-ए-मुस्तफ़ा

    हजला आराए इफ़्फ़त पे लाखों सलाम

    जिस का आंचल ना देखा मह-ओ-महर ने

    इस रिदाए नज़ाहत पे लाखों सलाम

    सय्यदा ज़ाहिरा तैबा ताहिरा

    जान अहमद की राहत पे लाखों सलाम

    हुस्न मुजतबा सय्यद अलासख़िया

    राकिब दोष इज़्ज़त पे लाखों सलाम

    औज महर हुदा मौज बहर निदा

    रूह रूह सख़ावत पे लाखों सलाम

    शहद ख़ार लुआब ज़बान नबी

    चाशनीगीर इस्मत पे लाखों सलाम

    इस शहीद बला शाह गुलगूँ क़बा

    बेकस दश्त ग़ुर्बत पे लाखों सलाम

    दर दर्ज नजफ़ महर बज्र शरफ़

    रंग रूमी शहादत पे लाखों सलाम

    अहल इस्लाम की मादर इन शफ़ीक़

    बानो इन तहारत पे लाखों सलाम

    जिलौ बैत बैत-उश-शरफ़ पर दरूद

    प्रद ज्ञान इफ़्फ़त पे लाखों सलाम

    सीमा पहली माँ कहफ़ अमन-ओ-अम्मां

    हक़ गुज़ार रिफ़ाक़त पे लाखों सलाम

    अर्श से जिस पे तस्लीम नाज़िल हुई

    इस सराए सलामत पे लाखों सलाम

    मंज़िल मन क़सब ला नसब लासख़ब

    में कोशक की ज़ीनत पे लाखों सलाम

    बिंत सिद्दीक़ आराम जान नबी

    इस हरीम बुरा-ए-त पे लाखों सलाम

    यानी है सूरा-ए-नूर जिन की गवाह

    इन की पर नूर सूरत पे लाखों सलाम

    जिन में रूह लकदस बे इजाज़त जाएँ

    इन सर अदक़ की इस्मत पे लाखों सलाम

    शम्मा ताबान काशाना-ए-इजतिहाद

    मुफ़्ती चार मिल्लत पे लाखों सलाम

    जां निसार इन बदर-ओ-अह्द पर दरूद

    हक़ गुज़ार इन बैअत पे लाखों सलाम

    वो दसों जिन को जन्नत का मुज़्दा मिला

    इस मुबारक जमाअ'त पे लाखों सलाम

    ख़ास इस साबक़ सैर क़ुर्ब ख़ुदा

    ओहद कामलीयत पे लाखों सलाम

    साया-ए-मुस्तफा माए-ए-इस्तिफ़ा

    उज़्व नाज़ ख़िलाफ़त पे लाखों सलाम

    यानी इस अफ़ज़ल अलख़लक बाद अलरसल

    सानी इसनैन हिज्रत पे लाखों सलाम

    अस्दक़ उल-सादिक़ें सेदालमतकें

    चशम-ओ-गोश वज़ारत पे लाखों सलाम

    वो उम्र जिस के आदा पे शैदा सुक़र

    इस ख़ुदा दोस्त हज़रत पे लाखों सलाम

    फ़ारिक़ हक़-ओ-बातिल इमाम अलहदा

    तेग़ मस्लूल शिद्दत पे लाखों सलाम

    तर्जुमान नबी हम ज़बान नबी

    जान शान अदालत पे लाखों सलाम

    ज़ाहिद मस्जिद अहमदी पर दरूद

    दौलत जैश उसरत पे लाखों सलाम

    दर मंसूर क़ुरआँ की सिल्क बही

    ज़ौज दो नूर इफ़्फ़त पे लाखों सलाम

    या'नी उस्मान साहिब क़मीस हुदा

    हिल्ला पोश शहादत पे लाखों सलाम

    मुर्तज़ा शेर हक़ अश्जा अलाशजईं

    साक़ी शेयर-ओ-शर्बत पे लाखों सलाम

    असल नस्ल सफ़ा वज्ह वस्ल ख़ुदा

    बाब फ़सल विलायत पे लाखों सलाम

    अव्वलीं दाफा अहल रफ़िज़-ओ-ख़ुरूज

    चार्मी रुक्न मिल्लत पे लाखों सलाम

    शेर शमशीर ज़न शाह ख़ैबर में

    पर्तो दस्त क़ुदरत पे लाखों सलाम

    माही रफ़िज़-ओ-तफ़ज़ील-ओ-नसब-ओ-ख़ुरूज

    हामी दीन-ओ-संत पे लाखों सलाम

    मोमिनें पेश फ़तह-ओ-पस फ़तह सब

    अह्ले ख़ैर-ओ-अदालत पे लाखों सलाम

    जिस मुसलमाँ ने देखा उन्हें इक नज़र

    इस नज़र की बसारत पे लाखों सलाम

    जिन के दुश्मन पे ला'नत है अल्लाह की

    इन सब अहल मोहब्बत पे लाखों सलाम

    बाक़ी साक्यान शराब तहव्वुर

    ज़ीन अहल इबादत पे लाखों सलाम

    और जितने हैं शहज़ादे इस शाह के

    इन सब अहल मकानत पे लाखों सलाम

    इन की बाला शराफ़त पे आला दर्दो

    इन की वाला सियादत पे लाखों सलाम

    शाफ़ई मालिक अहमद इमाम हनीफ़

    चार बाग़ इमामत पे लाखों सलाम

    का मिलान तरीक़त पे कामिल दरूद

    हा मिलान शरीयत पे लाखों सलाम

    ग़ौस आज़म इमाम इलतिक़ा वालनका

    जलवा-ए-शान क़ुदरत पे लाखों सलाम

    क़ुतुब अबदाल-ओ-इरशाद-ओ-रशदालरशाद

    मुह्यी दीन-ओ-मिल्लत पे लाखों सलाम

    मर्द ख़ैल तरीक़त पे बेहद दरूद

    फ़र्द अहल हक़ीक़त पे लाखों सलाम

    जिस की मिम्बर हुई गर्दन औलिया

    इस क़दम की करामत पे लाखों सलाम

    शाह बरकात-ओ-बरकात पेशीनयां

    नौबहार तरीक़त पे लाखों सलाम

    सय्यद आल महम्मद इमाम अलरशीद

    गिल रोज़ रियाज़त पे लाखों सलाम

    हज़रत हमज़ा शेर ख़ुदा-ओ-रसूल

    ज़ीनत कादरीत पे लाखों सलाम

    नाम-ओ-काम-ओ-तन-ओ-जान-ओ-हाल-ओ-मक़ाल

    सब में अच्छे की सूरत पे लाखों सलाम

    नूर जां इतर मजमूआ आल-ए-रसूल

    मेरे आक़ाए ने'मत पे लाखों सलाम

    ज़ेब सज्जादा सज्जाद नूरी निहाद

    अहमद नूर तीनत पे लाखों सलाम

    बे अज़ाब-ओ-इताब-ओ-हिसाब-ओ-किताब

    ताअबद अहलसन्नत पे लाखों सलाम

    तेरे उन दोस्तों के तुफ़ैल ख़ुदा

    बंदा-ए-नंग ख़लक़त पे लाखों सलाम

    मेरे उस्ताद माँ बाप भाई बहन

    अहल वलद-ओ-अशीरत पे लाखों सलाम

    एक मेरा ही रहमत में दावा नहीं

    शाह की सारी उम्मत पे लाखों सलाम

    काश महशर में जब इन की आमद हो और

    भेजें सब उन की शौकत पे लाखों सलाम

    मुझ से ख़िदमत के क़ुदसी कहीं हाँ ! रज़ा

    मुस्तफ़ा जान रहमत पे लाखों सलाम

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