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या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

मे’राज वारसी

या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

मे’राज वारसी

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    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    या-हबीब सलाम-अलैका सलवातुल्लाह अलैका

    आप की ज़ात-ए-मुकर्रम बाइ'स-ए-तख़्लीक़-ए-आलम

    आप पर फ़ख़्र-ए-आदम हो सलाम-ए-पाक पैहम

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    सुब्ह-ए-सादिक़ का वो मंज़र और वो मीलाद-ए-पयम्बर

    बुलबुल-ए-सिदरा के लब पर था ये नग़्मः रूह-परवर

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    रुख़ बहार-ए-सुब्ह-ए-क़ुदरत ज़ुल्फ़-ए-शब-गूँ शाम-ए-जन्नत

    दिल सरासर राज़-ए-वहदत आईनः-दार-ए-हक़ीक़त

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    अव्वल-ओ-आख़िर तुम्हीं हो बातिन-ओ-ज़ाहिर तुम्हीं हो

    हाज़िर-ओ-नाज़िर तुम्हीं हो दीन के नासिर तुम्हीं हो

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    बारिश-ए-लुत्फ़-ओ-करम ख़ंदः-ज़न हर अहल-ए-ग़म है

    आमद-ए-शाह-ए-उमम है अब जो कुछ मिल जाए कम है

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    हर तरफ़ जल्वे नुमायाँ हर तरफ़ शमएँ फ़रोज़ाँ

    अर्श से ता-बज़्म इम्काँ है चराग़ाँ ही चराग़ाँ

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    सलसबील-ओ-हौज़-ए-कौसर ख़ुल्द का हर एक गुल-तर

    अर्श-ओ-कुर्सी माह-ओ-अख़तर सब के सब तुम पर निछावर

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    हर सहर ख़ुर्शीद-ए-ख़ावर और हर शब माह-ओ-अख़तर

    सू-ए-रौज़ः सर झुका कर अर्ज़ करते हैं बराबर

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    काश जाग उट्ठे मुक़द्दर काश हो वो दिन मयस्सर

    सर झुका कर आस्ताँ पर यूँ कहूँ बा-दीदः-ए-तर

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    बा-ख़ुलूस-ओ-बा-अक़ीदत सब हैं हाज़िर पेश-ए-ख़िदमत

    हो क़ुबूल शाह-ए-उम्मत हदियः-ए-अहल-ए-मोहब्बत

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    अब तो रहमत की नज़र हो अब तो क़िस्मत को बना दो

    अपने 'मेराज'-ए-हज़ीं को अब तो रौज़े पर बुला लो

    या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका

    या-हबीब सलाम-अलैका सलवातुल्लाह अलैका

    स्रोत :
    • पुस्तक : तज़किरा शोरा-ए-वारसिया (पृष्ठ 180)
    • प्रकाशन : फाइन बुकस प्रिंटर्स (1993)
    • संस्करण : First

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