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सवैया
कुंज लीला - कुजगली मैं आली निकसी तहॉ सॉकरे ढोटा कियौ मटभेरो
कुजगली मैं आली निकसी तहॉ सॉकरे ढोटा कियौ मटभेरोमाई री वा मुख की मुस्कान गयौ मन बूढि फिरै नहि फेरो
रसखान
कवित्त
मुस्कान माधुरी - अब ही खरिक गई गाइ के दुहाइबे कौ
अब ही खरिक गई गाइ के दुहाइबे कौबावरी ह्वै आई डारि दोहनी यौ पानि की
रसखान
सवैया
मुस्कान माधुरी - काननि दै अँगुरी रहिबो जबही मुरली धुनि मंद बजै है
काननि दै अँगुरी रहिबो जबही मुरली धुनि मंद बजै हैमोहनी ताननि सो 'रसखानि' अटा चढी गोधन गैहै तौ गैहै
रसखान
सवैया
मुस्कान माधुरी - कातिग क्वार के प्रात ही प्रात सरोज किते बिकसात निहारे
कातिग क्वार के प्रात ही प्रात सरोज किते बिकसात निहारेडीठी परे रतनागर के दरके बहु दाड़िम बिम्ब बिचारे
रसखान
सवैया
मुस्कान माधुरी - बक बिलोचन है दुख-मोचन दीरघ रोचन रंग भरे है
बक बिलोचन है दुख-मोचन दीरघ रोचन रंग भरे हैघूमत बारुनी पान किये जिमि झूमत आनन रूप ढरे है
रसखान
सवैया
मुस्कान माधुरी - वा मुख की मुसकानि भटू अँखियानि ते नेकु टरै नहिं टारी
वा मुख की मुसकानि भटू अँखियानि ते नेकु टरै नहिं टारीजौ पलकै पल लागति है पल ही पल माँझ पुकारै पुकारी
रसखान
सवैया
मुस्कान माधुरी - मैन-मनोहर वन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है
मैन-मनोहर वन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा हैयौ दमकै चमकै झमकै दुति दामिनि की मनौ स्याम घटा है