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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
अता पता मत पूछो हमसे। कुछ तो महरम होगी उससे।।-अंगिया
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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अता पता मत पूछो हमसे। कुछ तो महरम होगी उससे।। -अंगिया
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दोहा
पेम कहानी कहत हूँ सुनो सखी तुम आए
छतियाँ आएँ उमंग के अंगिया छोटी जाएमन मेरो ऐसिन कहे जो मोहन निकसे आए