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साखी
राम रहस साहब शरण, अभय अशंक उदोत।
राम रहस साहब शरण, अभय अशंक उदोत।आवागमन की गम नहीं, भोर सांझ नहिं होत।।
रामरहस दास
साखी
चेतावनी का अंग - नाम अभय पद निरमला अटल अनूपम एक
नाम अभय पद निरमला अटल अनूपम एकये सौदा सत कीजिये बनिजी बनिज अलेख
गरीब दास
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
तीनि लोक के ऊपरे, अभय लोक विस्तार।सत्तसुकृत परवाना पावै, पहुँचै जाय करार।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
तीनि लोक के ऊपरे, अभय लोक विस्तार। सत्तसुकृत परवाना पावै, पहुँचै जाय करार।।
परशुराम चतुर्वेदी
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पद
प्रातसमय रघुवीर जगावे कौसल्या महरानी ।
सुन प्रिय वचन उठे रघुनन्दन नैनन पलख उघारी ।चितवन अभय देत भक्तन को मुक्त भये नर नारी ।
माधव महाराज
दोहा
विनय मलिका - अजर अमर अबिगत अमित अनुभय अलख अभेव
अजर अमर अबिगत अमित अनुभय अलख अभेवअबिनासी आनन्दमय अभय सो आनंद देव
दया बाई
शबद
साधो अवगत अलेख गाया काया नगर में पाया
इँगला पिंगला देख तमाशा सुसमन आन समायानिर्भय होय अभय पद चीन्हा नाथ निरंजन गाया
घीसा साहेब
चौपाई
गुरु की अस्तुति कहँ लौं कीजै
इन नैनन जिन राम दिखाये बंधन कोटि काटि मुक्तायेअभय दान दीनन कूँ दीन्हीं देखत आप सरीखे कीन्हें
सहजो बाई
शबद
दया करो दीनानाथ
बंदी छोड़ अभय अविनाशी काटो जन्म मरण की फाँसीसाहब कबीर आये थे काशी दुखी देख संसारा हो
अचलदास
पद
कठिन पंथ संतों का मारग सतगुरु शब्द सुनाया तारग
सतगुरु शरण अभय पद पाया ग्यान घटा अमृत झर लायानाम प्रताप ऐसो है भाई आवा जू गमन निवारणी