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ना'त-ओ-मनक़बत
इक इक वली रहीन-ए-करम ग़ौस-ए-पाक काहै सब की गर्दनों पे क़दम ग़ौस-ए-पाक का
पीर नसीरुद्दीन नसीर
ग़ज़ल
आज इक इक बादा-कश मसरूर मय-ख़ाने में हैताज़ा ताज़ा इसके उसके सब के पैमाने में है
पीर नसीरुद्दीन नसीर
पद
( साधना-स्वरूप )-इड़ा पिंगुला अउर सुषुमना, बसहिं इक ठाईं ।
इड़ा पिंगुला अउर सुषुमना, बसहिं इक ठाईं ।वेणी संगमु तंह पिरागु, मनु भजनु करे तिथाई।।
वेणी
कलाम
शकील बदायूँनी
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दोहरा
इक तगादा इशक़ तेरे दा दूजी बुरी जुदाई
इक तगादा इशक़ तेरे दा दूजी बुरी जुदाईदूर वसण्यां सजनां मैनूं सख़त मुसीबत आई
मियां मोहम्मद बख़्श
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
ग़ज़ल
इक बसीत-ए-एहसास इक शौक़-ए-नुमायाँ चाहिएइ'श्क़ की नब्ज़ों में रक़्स मौज-ए-तूफ़ाँ चाहिए
अख़तर अ’लीगढ़ी
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
ना'त-ओ-मनक़बत
वस्ल इक हक़ीक़त थी हिज्र इक फ़साना थाहम थे जब मदीना में वो भी क्या ज़माना था
शाह अब्दुल क़दीर बदायूँनी
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शबद
भेद बानी - साधो इक बासन गढ़ै कुम्हार
साधो इक बासन गढ़ै कुम्हारतेहि कुम्हार का अंत न पावौ कैसो सिरजन हार
जगजीवन साहेब
साखी
बिरह का अंग - कागा करँक ढँढोलिया मुट्ठी इक लिया हाड़
कागा करँक ढँढोलिया मुट्ठी इक लिया हाड़जा पिंजर बिरहा बसै माँस कहाँ तें काढ़
कबीर
दोहरा
इक बह कोल ख़ुशामद करदे
इक बह कोल ख़ुशामद करदे पर ग़रज़ी होन कमीनेइक बे-परवाह न पास खड़ोवन पर होवन यार नगीने