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दकनी सूफ़ी काव्य
अर्जी पोंचावे हुज़ूर नामदेव लाया नज़र
कासी पंडत बहुत भला कदम कदम जा मिलानामदेव आ मिला लगाया गले सो
गोंडा
शबद
उठ जाग घुराड़े मार नहीं, एह सौण तेरे दरकार नहीं ।
संभल संभल के कदम टिकाईं, फिर आवण दूजी वार नहीं ।
बुल्ले शाह
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
कोटिन बहै बयारि कदम आगे को दीजै।।तिल तिल लागै घाव खेत से टरना नाहीं।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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सूफ़ी लेख
संत साहित्य
कोटिन बहै बयारि कदम आगे को दीजै।। तिल तिल लागै घाव खेत से टरना नाहीं।
परशुराम चतुर्वेदी
दोहरा
वंज वे कासद यार दी ख़िदमत साडा रो रो हाल सुणावीं ।
कोझा हाल असाडा तै बिन चा कदम मुबारक पांवीं ।ग़ुलाम फ़रीद मतां मर वंजां चा दीदार डखावीं ।
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
ग़ज़ल
कदम तेरे फड़ सौ जिन्द वारां, फिर भी उज़र मन्नेसांख़िदमत तेरी मैं थीं सज्जणा! होई ना मासा सावीं
मियां मोहम्मद बख़्श
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
मोहि असि कहाँ सो मालति बेली। कदम सेवती चाँप चँबेली।2 औ सिंगार हार जस ताका। पुहुप करी अस हिरदे लागा।3
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
ना'त-ओ-मनक़बत
क़दम-क़दम पे मलक मुझ पे भेजते हैं सलामरह-ए-फ़ना में चला ले के मैं हुसैन का नाम