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क्यूँ-कर न क़ुर्ब-ए-हक़ की तरफ़ दिल मिरा कीजिएगर्दन असीर-ए-हल्क़ा-ए-हबल-उल-वरीद है
बेदम शाह वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
मक़ाम-ए-क़ुर्ब तक वो मज़हर-ए-नूर-ए-ख़ुदा पहुँचेनज़र इंसाँ की क्या पहुँचे जहाँ पर मुस्तफ़ा पहुँचे
हाफ़िज़ मालेगाउंवी
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ना'त-ओ-मनक़बत
जिस को भी तिरा क़ुर्ब मिला उस के बड़े बख़्तमहबूब तिरा क़ुर्ब तो है क़ुर्ब-ए-इलाही
सय्यद ज़ियाउल हक़
सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
अ’लल-ख़ुसूस कि सा’दी मजाल-ए-क़ुर्ब-ए-याफ़्तहक़ीक़तस्त कि ज़िक्रश मअ’ज़्ज़मान मांद
एजाज़ हुसैन ख़ान
सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
क़ुर्ब-ए- सद तस्नीफ़ दर दिल याद दाश्त ।हिफ्ज़-ए- क़ुरआँ रा बसे उस्ताद दाश्त ।।
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
कुछ मज़ा इश्क़-ओ-मोहब्बत का उठाते हैं वहीक़ुर्ब अल्लाह का हासिल जो बशर करते हैं
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
जब जी में ये समाई जो कुछ कि है सो तू हैफ़िर दिल से दूर कब हो क़ुर्ब-ओ-हुज़ूर तेरा
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
ये हिजाब-ए-कुफ्र-ओ-ईमाँ भी हटा दो दरमियाँ सेकि मक़ाम-ए-क़ुर्ब आगे है हुदूद-ए-दो-जहाँ से