आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "किए"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "किए"
अन्य परिणाम "किए"
ना'त-ओ-मनक़बत
मुफ़्लिस-ए-वक़्त को सुल्तान किए बैठे हैंसारे आ'लम पे वो एहसान किए बैठे हैं
महबूब गौहर इस्लामपुरी
दोहा
रहिमन दुरदिन के परे बड़ेन किए घटि काज
रहिमन दुरदिन के परे बड़ेन किए घटि काजपाँच रूप पांडव भए रथवाहक नलराज
रहीम
ग़ज़ल
ग़ैर जो बे-फ़ाइदा हाथों पे गुल खाया किएहम भी नाहक़ दाग़ अपने दिल के थे दिखलाया किए
ख़्वाजा मीर दर्द
बैत
अपने थे जितने काम ख़िज़ाँ ने किए तमाम
अपने थे जितने काम ख़िज़ाँ ने किए तमामकहियो सलाम-ए-'इश्क़ हमारा बहार को