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ग़ज़ल
दार से गुज़रा क्या दीवाना दीवाने के बा'ददोस्तो बनता गया अफ़्साना अफ़्साने के बा'द
अब्दुल लतीफ़ शौक़
सूफ़ी उद्धरण
मोहब्बत से देखो तो गुलाब में रंग मिलेगा, ख़ुशबू मिलेगी, नफ़रत से देखो तो ख़ार निगाहों में खटकेंगे।
मोहब्बत से देखो तो गुलाब में रंग मिलेगा, ख़ुशबू मिलेगी, नफ़रत से देखो तो ख़ार निगाहों में खटकेंगे।
वासिफ़ अली वासिफ़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
चूँ शुद आँ 'हल्लाज' बरदार आँ ज़माँजुज़ अनल-हक़ मी-न-रफ़्तश बर ज़बाँ
फ़रीदुद्दीन अत्तार
ना'त-ओ-मनक़बत
हज़रत-ए-मौला ’अली हैं राज़-दार-ए-फ़ातिमाशब्बर-ओ-शब्बीर दोनों हैं क़रार-ए-फ़ातिमा