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ना'त-ओ-मनक़बत
कौसर-ओ-तसनीम भी थे जिस के लहजा पर निसारये उसी दिलदादा-ए-गंग-ओ-जमन की बज़्म है
अज़ीज़ वारसी देहलवी
ना'त-ओ-मनक़बत
ऐसा हुआ न कोई भी शाह-ए-ज़मन के बा'दआया हो लौट कर जो ख़ुदा से मिलन के बा'द
अब्दुल ख़ालिक़ दानिश
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ना'त-ओ-मनक़बत
सुल्तान-ए-ज़मन शाह-ए-जहाँ ख़्वाजा-ए-ख़ानूनहैं नूर-ए-मोहम्मद के निशाँ ख़्वाजा-ए-ख़ानून
ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी
कलाम
दिखला के झलक चमका के पलक दिल-बर-ओ-ज़मन जादू नज़रीमन छीन लियो तन छीन लियो तर्के शिफ़ा की ’इश्वा-गरी
अज्ञात
ग़ज़ल
जिगर मुरादाबादी
फ़ारसी कलाम
दिल-ओ-जिगर नज़र-ओ-दीद: जान-ओ-तन हम: ऊस्तहर आंचे हस्त दरीं ख़िरक़:-ए-कोहन हम: ऊस्त
ग़ुलाम इमाम शहीद
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ुश-ख़िसाल-ओ-ख़ुश-ख़याल-ओ-ख़ुश-ख़बर ख़ैरुल-बशरख़ुश-नज़्झ़ाद-ओ-ख़ुश-निहाद-ओ-ख़ुश-नज़र ख़ैरुल-बशर
शे'र
बाग़-ओ-बहिश्त-ओ-हूर-ओ-जन्नत अबरारों को कीजिए इनायतहमें नहीं कुछ उस की ज़रूरत आप के हम दीवाने हैं
निसार अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
फ़ातिह-ए-ख़ंदक़ हुनैन-ओ-बद्र-ओ-ख़ैबर हैं 'अलीइफ़्तिख़ार-ए-मस्जिद-ओ-मेहराब-ओ-मिंबर हैं 'अली