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फ़ारसी कलाम
ऐ माह-ए-मन-ओ-शाह-ए-सिपाह-ए-हम: ख़ूबाँख़ूबाँ हम: शाहंद-ओ-तू-शाह-ए-हम: ख़ूबाँ
नूरुद्दीन हिलाली
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बैत
ज़रा ऐ गर्दिश-ए-दौराँ के मारो
ज़रा ऐ गर्दिश-ए-दौराँ के मारोये सोचो हम भी ज़ेर-ए-आसमाँ हैं
अतहर नियाज़ी
सूफ़ी प्रतीक
माह-ए-नख़्शब
नख़्शब ईरान का एक शहर है. यहाँ एक हकीम इब्न-ए-अ’ता रहता था जिसे इब्न-ए-मुक़न्ना भी कहते
अज्ञात
ना'त-ओ-मनक़बत
माह-ए-रिसालत मोहर-ए-नबुव्वत नय्यर-ए-आ'ज़म आक़ा हैंशान-ए-शरी'अत शम'-ए-हिदायत दीन का परचम आक़ा हैं
ख़ालिद नदीम बदायूँनी
फ़ारसी कलाम
बुते दारम सुख़न्दाने परी-वश माह-ए-कनआ'नेजवाने ना मुसल्माने अ'दू-ए-दीन-ओ-ईमाने
ग़ुलाम इमाम शहीद
नज़्म
सैंकड़ों साल हुए जब न मिला था पानी
सैंकड़ों साल हुए जब न मिला था पानीआज तक है लब-ए-शब्बीर का प्यासा पानी
मुज़फ़्फ़र वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
शाह फ़ाइक़ शहबाज़ी
पद
बे-ख़बरी में दिन ये गुज़रे सारे गुज़रे साल और माह
बे-ख़बरी में दिन ये गुज़रे सारे गुज़रे साल और माहगई जवानी पीरी आई रहा न बाक़ी सिवा कराह
कवि दिलदार
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सर-गश्तगी अज़ गर्दिश-ए-दौराँ ख़बरम दादवज़ आबलः-पा ख़ार-ए-बयाबाँ ख़बरम दाद