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साखी
गुप्त रूप जहां धारिया, राधास्वामी नाम।
गुप्त रूप जहां धारिया, राधास्वामी नाम।बिना मेहर नहिं पावई, जहां कोई बिसराम।।
शिवदयाल सिंह
पद
गुप्त होकर परगट होवे मथुरा गोकुल वासी
गुप्त होकर परगट होवे मथुरा गोकुल वासीप्राण निकार सिध्द जो होवे सत्यलोक का वासी ।।
शिवदिन केसरी
दोहा
भेद का अंग - 'दूलन' ये मत गुप्त है प्रगट न करो बखान
'दूलन' ये मत गुप्त है प्रगट न करो बखानऐसे राखु छिपाय मन जस बिधवा औधान
दूलनदास जी
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सूफ़ी शब्दावली
सूफ़ी शब्दावली
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सूफ़ी लेख
कबीर द्वारा प्रयुक्त कुछ गूढ़ तथा अप्रचलित शब्द पारसनाथ तिवारी
आहर गएउ न भा सिधि काजू।। -जायसीः पदमावत् डा. माताप्रसाद गुप्त-सम्पादित छन्द 204-6)
हिंदुस्तानी पत्रिका
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
ते सब षट बिधि होत हैं यह सब करत बखान।।248।।गुप्त सुरति गोपन करै भयो होइगो होत।
रसलीन
पद
कहावे गुनी ज्यों साधे नाद शबद जाल कर थोक गावे।।
उक्ति जुक्ति भक्ति मुक्ति गुप्त होवै ध्यान लगावै।तब गोपाल नायक के अष्ट सिद्ध नव निद्ध जगत मध पावै।।
गोपाल नायक
सूफ़ी लेख
अलाउल और उनकी पद्मावती-सत्येन्द्रनाथ घोषाल, शान्तिनिकेतन - Ank-1, 1956
दस हज़ार सहेलियाँ सेवा में उपस्थित थीं। (26।17)पर डा. गुप्त के संस्करण में इसका पाठ इस प्रकार हैः
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी शब्दावली
(कालिमा) ׃गंजे मख़्फ़ी (गुप्त कोश) अर्थात् ईश्वर जो छिपा हुआ है; मर्तबा-ए-अहदीयत (एकत्व).
सूफ़ी लेख
चतुर्भुजदास की मधुमालती- श्री माताप्रसाद गुप्त
चतुर्भुजदास कृत मधुमालती हिंदी की एक प्राचीन प्रेम-कथा है जो विशुद्ध भारतीय शैली में लिखी गई
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी शब्दावली
सूफ़ी लेख
बीसलदेव रासो- शालिग्राम उपाध्याय
डा. गुप्त द्वारा संपादित मूल प्रति छंदसंख्या की दृष्टि से जितनी अधिक प्रामाणिक है, डा. अग्रवाल