आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "गुलनार"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "गुलनार"
शे'र
बाँद कर गुलनार चीरा गुल-बदन जाता है बाग़आज ख़ातिर में तिरे बुलबुल की मिस्मारी है क्या
तुराब अली दकनी
फ़ारसी कलाम
साक़ी-ए-फ़र्रूख़-ए-रुख़-ए-मन जाम चू गुलनार ब-देहबहर-ए-मन अर मी न-देही बह्र-ए-दिल-ए-यार ब-देह
रूमी
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "गुलनार"
ग़ज़ल
बाँद कर गुलनार चीरा गुल-बदन जाता है बाग़आज ख़ातिर में तिरे बुलबुल की मिस्मारी है क्या
तुराब अली दकनी
नज़्म
राखी
चलि आती है अब तो हर कहीं बाज़ार की राखीसुनहरी सब्ज़ रेशम ज़र्द और गुलनार की राखी
नज़ीर अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
वारते हैं तन को अपने ला’ल-ओ-या’क़ूत और गुलाबऐ 'अरब के नौजवाँ तेरे लब-ए-गुलनार पर
अब्दुल बारी हनफ़ी
शे'र
सुब्ह नहीं बे-वज्ह जलाए लाले ने गुलशन में चराग़देख रुख़-ए-गुलनार-ए-सनम निकला है वो लाल: फूलों का
शाह नसीर
ग़ज़ल
सुब्ह नहीं बे-वज्ह जलाए लाले ने गुलशन में चराग़देख रुख़-ए-गुलनार-ए-सनम निकला है वो लाल: फूलों का
शाह नसीर
शे'र
सुब्ह नहीं बे-वज्ह जलाए लाले ने गुलशन में चराग़देख रुख़-ए-गुलनार-ए-सनम निकला है वो लाला फूलों का
शाह नसीर
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
बादशाह ने फ़रमाया वाह जी वाह ख़ाली झूला कैसा। कढ़ाई चढ़ाओ, झूलते जाओ और खाते जाओ