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सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
ताके बल्लभ सुकवि विख्याता गुन गौरव में गनपति भ्राता नंद सनेहराम जु ताके ताके दौलत कविता पाके
भारतीय साहित्य पत्रिका
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सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
हल्दिया परिवार मूलतः किस परम्परा का अनुगामी था यह कहना कठिन है, क्योंकि वर्तमान में इसके
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह - श्री अविनाश कुमार श्रीवास्तव
दारा की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्रों में सुलेमान को 1661 में मृत्यु-दंड मिला और सिपहर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह
दारा की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्रों में सुलेमान को 1661 में मृत्यु-दंड मिला और सिपहर
अविनाश कुमार श्रीवास्तव
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
कोविद कवि का क्रम बिहारी के निज क्रम में परिवर्तन करके, सबसे पहले चंद्रमणि मिश्र, उपनाम कोविद
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी साहित्य
दारा शुकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता
बाबा लाल – महापुरुष को छोड़कर किसी के जीवन (अस्तित्व) में पुष्टीकरण नहीं होता है, परन्तु
दारा शिकोह
सूफ़ी लेख
दारा शिकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता
12-दारा शुकोह – यदि यह ज्ञात हो जाये कि मुझको फकीर का वस्त्र हृदय से पसन्द
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
जौनपुर विद्या का केंद्र नहीं बल्कि विद्वानों और कलाकारों का केंद्र था. ये या इनके पूर्वज
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
लिंगभेद तो उस समय इतना किया जाता था कि कुछ कहा नहीं जा सकता। धार्मिक क्षेत्र
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
मुसलमान शासकों का संस्कृत प्रेम- श्री हरिप्रताप सिंह
लगभग सभी भातरीय भाषाओं की जननी देवभाषा संस्कृत को यह गौरव प्राप्त है कि विदेशों से
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
उपसंहार में कबीर के विषय में यह कहा जा सकता है कि उनकी जीवन-व्यवस्था साधारण जनता
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
इस प्रकार निरंतर लगन के साथ अभ्यास करते-करते अमीर खु़सरो ने वह कमाल हासिल किया कि
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
जायस का इतिहासजायस एक अति प्रचलित नगर है। मुगलसराय-लखनऊ-रेलवे का एक स्टेशन भी इसी नाम से
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
इस प्रकार ‘कबिलास’ शब्द का एक विशिष्ट अर्थ जायसी की भाषा में आया है। उसकी परंपरा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अलाउल और उनकी पद्मावती-सत्येन्द्रनाथ घोषाल, शान्तिनिकेतन - Ank-1, 1956
इस बंगाली कथा का अन्तिम भाग नीरस वर्णन मात्र है। काव्योत्कर्ष का उसमें कहीं नाम भी
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
मुरली देखकर लजाते हैं। मुरली गाँव और गोचारण की उन्मुक्तता की प्रतीक है। सिंहासन बैठा राजा