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दोहरा
पारस नाल मिले रंग बदले
दिलबर लिख तसवीर आशक दी, होवें मुहकम कोट पनाहों ।हाशम पाक घने लख दफतर, करन आशक पाक ग़ुनाहों ।
हाशिम शाह
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(66) अचरज बंगला एक बनाया। ऊपर नींव तले घर छाया।।बॉस न बल्ली बंधन घने। कह खुसरो घर कैसे बनै।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(66) अचरज बंगला एक बनाया। ऊपर नींव तले घर छाया।। बॉस न बल्ली बंधन घने। कह खुसरो घर कैसे बनै।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सवैया
नाम तिहारो सुनौ जग में तुम गोकुल के ठग ही हम जानी।
नाम तिहारो सुनौ जग में तुम गोकुल के ठग ही हम जानी।साल सहौ अपने कन में चित चोर घने सों जोरी हम ठानी।।
ताज जी
दोहरा
अरी हंसरी बूझ बाहर समुँद सँभाल
अरी हंसरी बूझ बाहर समुँद सँभालइस तालरि बेरी घने मत कोइ मेलै जाल
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
सलोक
फ़रीदा रोटी तेरी काठ की लावन तैडी भुक्ख
फ़रीदा रोटी तेरी काठ की लावन तैडी भुक्खजो खावसनि चोपड़ी घने लहसनि डुख
बाबा फ़रीद
राग आधारित पद
राग मंगल- उठो सोहंगम नारि प्रीति पिया सों करो
पाँच चोर बड़ जोर संगि एते घनेइन ठगियन के साथ मुसै घर निसु दिने
कबीर
सूफ़ी लेख
Sheikh Naseeruddin Chiragh-e-Dehli
शेख नसीरुद्दीन के परिवार के विषय में हमें थोड़ी सी जानकारी ख़ैर उल मजालिस (हामिद क़लंदर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
बारहदरी के मंडवे से मिला हुआ झरना का दूसरा दरवाज़ा है और इस के बा’द अमरैयाँ।