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राग आधारित पद
भैरवी खेमटा, यत- मतलबी कौन कतेनी मागे हानू ईश्कते हाल।।
साह हुसेन फकीर ख़्वाना साईदे नाल घोल घतानी।
फ़क़ीर हुसैन शाह
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कवित्त
कर्मग्रन्थि वर्णन- कर्मग्रन्थि कहों ग्रन्थि वा में भूल्यो महापंथ
कर्मग्रन्थि कहों ग्रन्थि वा में भूल्यो महापंथ,ग्यानरुअग्यान मथ दधि के सो घोल हैं।
स्वामी भगवानदास जी
दोहरा
कारी रोग बीमारी भारी
डारी लोग कहन बुर्यारी, भैड़ी कूंज फिरे बिन डारीं ।वारी घोल घुमाई हाशम, मेरी बात पुछें इक वारी ।
हाशिम शाह
राग आधारित पद
आए रे सुघर बलम अनमोल
गजरा लाए सेंदुर लाए 'इत्र ले आए घोलसावन अधिक सुहावन लागे
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
काफी
इश्क़ असांझी जा आहे इंसाफ़
तुहंजी सीरत सूरत सोहनी किवें क्यां औसाफ़जिंदड़ी तों तूँ घोल घुमाएंंदस