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दोहा
विनय मलिका - राम रमैया रमापति राम-चंद्र रघुबीर
राम रमैया रमापति राम-चंद्र रघुबीरराघव रघुबर राघवा राधारमन अहीर
दया बाई
दोहा
विनय मलिका - तुम्हीं सूँ टेका लगौ जैसे चंद्र चकोर
तुम्हीं सूँ टेका लगौ जैसे चंद्र चकोरअब कासूँ झंखा करौं मोहन नन्दकिसोर
दया बाई
पद
प्रेमालाप के पद - चंद्र वदन पर म्हारो भँवरो बस्यो ऐ आली
चंद्र वदन पर म्हारो भँवरो बस्यो ऐ आलीजल बिच कमल कमल बिच कलियाँ
मीराबाई
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कवित्त
सम्यक सजीलो रम्य रहस रसीलो रच्यो
मंजुल बदन चंद्र चंद्रवत कान्ति पुंज।चिर श्रम संकुल कपोल पलकन पै।।
सय्यद छेदाशाह
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
देस मालवा माहिँ कुंडलियाँ करि सतसई। हरि गुन अधिक सराहि चंद्र कवीसुर तिहिँ सभा।।2।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
राग आधारित पद
रागिनी टोड़ी, सुर फाक्ता- संभु हर रे गंगाधर रे, कामित जन मन चिंतामनि
मंडित खड्वांग खप्पर रे।चंद्र किरन भुव कुंडल मंडित श्रवन, अखंड उर पन्नग गन रे।
तान तरंग
पद
हजरत अल्ला, सब दुनिया पालनवाला
ऊपर गाडा है गंबू, हरदम अल्ला ।।सब0।।चंद्र सूरज दोनों चिराखी , नव दरवाजे दसवी खिरकी ।।
शिवदिन केसरी
पद
अल्लख जागे, गुरुजी अल्लख जागे
चंद्र सुरज विन तेज उघाडा, कर्मशूल का भूल उघाडा ।।समाधी लागी सहजी सहजा, अनुहत सिंगी बाजत बाजा