दुर्रूल-मजालिस
हिकायत यहाँ सुनो यक मर्द-ओ-ज़न का
उठा कहें बाग़ कीं यक फूल-बन का
उटा यक बाप यक मादर सूँ फ़रज़ंद
उनेनो कूँ न था कपड़ा सो पैवंद
वले यक थी पुरानी फाट चादर
गदाई कूँ सो जावे पैन चादर
चले ईसा पयम्बर गुलिस्ताँ कूँ
देखे वहॉ सहनफ़ आदम बुताँ कूँ
पयम्बर के केनी आ कर फ़रियादी
नबी हैं तुम ख़ुदा के जग के हादी
हमारे पर करो कुछ फ़ैज़ बानी
निकल जावे नसीबा की गिरानी
क़ुबूले थे पयम्बर ख़ुश-वज़अ' सूँ
मगूँगा मैं मुनाजात अब ख़ुदा सूँ
कहँ इतना सुन के हक़ सू मुनाजात
ग़रीबाँ के दुआ वर लिया तूँ हाजात
सुब्ह पोचाऊँगा मैं सवाल का जवाब
तुम्हारे पर खोलेगा फ़ैज़ का बाब
क़ुबूलिया रब पयम्बर की ज़बानी
करूँगा बख़्श ज़ाहिर सब निहानी
अगर शाही मँगे तो शाह करूँगा
बगर सूरत मँगे तो माह करूँगा
दुआ मंग्या तुमें पैंली चे बारे
पयम्बर कने कहे वहाँ सू सिदारे
किए औरत-मर्द ने मिल फ़िकर ख़ास
हमें क्या क्या मंगे अब बोल ख़ुदा पास
कहा ओ मर्द मैं शाही मगूँगा
जग का बादशाह हो कर मरूँगा
ज़न-बी बोली जो औरत ने ज़बानी
मग़ूँगी ख़ूब-सूरत नौजवानी
दोनों मिल कर ख़ुशी सूँ रात सारी
गुज़र गई रैन जग पर सूर सवारी
रैन की बादशाही कर आवारा
सूरज पैदा हुआ कुहन का सितारा
किए तज्वीज़ जाने नही सो ख़ारी
सुब्ह हुई कर उठे ओ सो नार
समज सदक सुब्ह का वरी हुई बहार
वजू करने चली आब-ए-रवाँ को
चली है ख़ूब नाले प घर सो
लगे करने वजू मिल जन्नत जोड़ा
वजू का सब हुआ फ़ैज़ निबोड़ा
अव्वल आग़ाज़ कर ज़न ने दुआ कूँ
दिया सूरत जवानी बेवफ़ा कूँ
निछल सूरत दिया बख़्शिश ख़ुदा-बन्द
चंद्र जिस की सूरत का पाक पैवंद
ज़माने की जितनी ख़ूबाँ हुई तल
अजब चंद्र बदन थी पाक निर्मल
जमालाँ में सकल ओ हुस्न बाली
सो एक में वैसी सर्व की डाली
न थी सूरत उस की जग में सानी
अजब था हुस्न उस का नौजवानी
न थी चन्द्र-बदन काँ थी मलेका
नहीं मधु-मालती काँ थी ज़ुलेख़ा
हुस्न मधु-मालती का क्या विचारा
ज़ुलेख़ा ने छिपी जाली किनारा
अपस की नौजवानी की तरंग कूँ
चलाई थी जो ख़ूबी की अलंग कूँ
के वैसे में देखो यक बादशाह चल
सवारी के बदल आया था जंगल
खड़े सुंदर देखा मोहन ज़माना
पेशानी जिस की थी चंद्र निशाना
देखो उस बादशाह के नयन के बाज़
मोहन रूप के तोती पर परबाज़
इश्क़ की बाज़ी मार्या था लोटन
महाफ़ी में बैठा कर ले चल्या धन
मेरी औरत महाफ़ी में बिठा कर
ले जाया कर ज़बरदस्ती सरासर
मगूँगा मैं दुआ रब के हुजूरी
अजब है बादशाह मेरा सुबूरी
जिस्म धन का तू रख मूँ जो सूर का
तूँ है मालिक मेरे ऐब-ओ-हुनर का
मेरा तूँ बादशाह है रब तवाना
सूर का मूँ मेरी ज़न का दिखाना
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