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दोहा
अड़सठ तीरथ गुरु चरण परवी होत अखंड
अड़सठ तीरथ गुरु चरण परवी होत अखंड'सहजो' ऐसो धाम ना सकल अंड ब्रह्मंड
सहजो बाई
पद
माँग्या लाभे जब चरण, मौजी लभे जुवार ।
माँग्या लाभे जब चरण, मौजी लभे जुवार ।माँग्या साजन किमि मिल, गहली मूढ गँवार ।।
झीमा
पद
बलाय ज्याउं मैं तेरे चरण उपर सुं
बलाय ज्याउं मैं तेरे चरण उपर सुं।।ध्रु0।।महबूब साहेब तूही, पिरतम तुज बाज नहीं ।
केशव स्वामी
दकनी सूफ़ी काव्य
बलाय ज्याऊँ मै तो चरण ऊपर सूँ ।
बलाय ज्याऊँ मै तो चरण ऊपर सूँ ।महबुब साहेब तू ही पिरतम तुम बाज नहीं
केशव स्वामी
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पद
प्रकीर्ण के पद - मोरे तो मन राम-चरण सुख-दाई
मोरे तो मन राम-चरण सुख-दाईजिन चरणन सों निकसी सुरसरि शंकर जटा समाई
मीराबाई
पद
रे, मन भूला काहे डरिये, रांम नाम हरि हिरदै धरिये।।
हरि कै चरण कँवल चित दीजै, चरण शरण हरि स्वामी रीजै।सुरति पवन मन पंथ गहीजै, सतगुरु सवदै प्राण पतीजै।।
महात्मा नरीदास जी
चौपाई
सद्गुरुमहिमा - सब तीरथ गुरु चरणों लारे
रनजीता गुरू चरण तुम्हारे जीवन प्राण अधार अधारेगुरु के चरण मुक्ति फलदायक सहजो गुरु के चरण सहायक
सहजो बाई
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
ठुमुक ठुमुक पग, कुमुक-कुंजमगचपल चरण हरि आए।
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
आदि भागश्रीशुक चरननदास के बैठि चरण की नाव।
भारतीय साहित्य पत्रिका
पद
राम सुमर हरि का गुण गावे, हरि हरि सुमर परम पद पावे।।
राम सुमर छूटै भ्रम पास, चरण शरण जन कहे नरिदास।।
महात्मा नरीदास जी
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
सतगुरु चरण में रहत समाय।।4।।कहौं बुझाय दरद पिय तोसे।।टेक।।