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राग आधारित पद
होली पर्व- कोई उत जिन जैयों ठाढ़ो श्याम चित चोर।
कोई उत जिन जैयों ठाढ़ो श्याम चित चोर।रोके छैल गेल पनघट की, बंशी बट की ओर।
फरहत
दोहा
बैराग का अंग - छाँड़ो बिषै बिकार कूँ राम नाम चित लाव
छाँड़ो बिषै बिकार कूँ राम नाम चित लाव'दयाकुँवर' या जगत में ऐसो काल बताव
दया बाई
दोहरा
लोभी कें चित धन बैठे कामिनी चित काम
लोभी कें चित धन बैठे कामिनी चित काममाता के चित पूत बैठे 'तुका' के मन राम
तुकाराम
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कवित्त
प्यारे जी वियोग में तिहारे चित चेन गयो
प्यारे जी वियोग में तिहारे चित चेन गयो,भूलो खान पान सब मुरझाई छाई है।
हफ़ीजुल्लाह ख़ान
दोहा
कहि आवत सोई यथा, चुभी जो हित चित मांहि।
कहि आवत सोई यथा, चुभी जो हित-चित मांहि।अहमद' घायल नरन को, बेकलाइ फल नाहि।।
अहमद
साखी
चेतावनी का अंग- चित के अंदर चाँदना कोटि सूर ससि भान ।
चित के अंदर चाँदना कोटि सूर ससि भान ।दिल के अंदर देहरा काहे पूज पखान ।।
गरीब दास
छंद
चित चाह अबूझ कहै कितने छवि छईनी गयन्दन की टटकी।
चित चाह अबूझ कहै कितने छवि छीनी गयन्दन की टटकी।कवि केते कैहै निज बुद्धि उदै यह लीनी मरालन की मटकी।।
द्विजदेव
पद
चेतावनी - रे चित चेतसि कीन दयाल, दमोदर विवहित जानसि कोई।
रे चित चेतसि कीन दयाल, दमोदर विवहित जानसि कोई।जे धावहि षंड ब्रहिमंड कउ, करता करै सु होई।।रहाउ।।
धन्ना भगत
पद
अगहन- मास अगहन रहट घरिया, चलत चित दै देख रे ।
मास अगहन रहट घरिया, चलत चित दै देख रे ।जात आवत भरी रीती, ऐसही जग लेख रे ।।