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ग़ज़ल
चाँद सा चेहरा नूर की चितवन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाहतुर्फ़ा निकाला आप ने जोबन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
अमीर मीनाई
महाकाव्य
।। अंगदर्पण ।।
अद्भुत बान कटाक्ष जिहिं बिध्यो लगे संग जाय।।48।।तिरछी चितवन ते चखन, चितवन किनों दोय।
रसलीन
खंडकाव्य
इंद्रावति -जीव कहानी खंड
आयसु आवागमन को, चितवन कँह तब दीन्ह।।13।।चितवन आपने सदन मँझारा। मन राजा कँह आनि उतारा।
नूर मोहम्मद
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
दोहा गढ़ रचना वरुनी अलक चितवन भौंह कमान।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
राग आधारित पद
दादर भूपाली- ए नये विषन भरे उर बेधत करेजो बेन
एक तेरी चितवन घायल कीन्ही दूजे बंशीकी तान जादू चला वै।।
क़ाज़िम वा क़ायम
कुंडलिया
प्यारी छबि मतरान लखि नव नागरि मुसुकाय ।
इक टक रही चिताय अमल अनउतरन छाकी ।इक चितवन सकुचान भरी इत प्रेमहिं माकी ।।
छत्रकुंवरि बाई
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
नैन पलक चितवन नहीं, पाथर गोल सिडौलमन पंड़ित का क्यूँ भयो बुत पर डाँवा-डोल
ज़माना
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
उल्फ़त-ए-दुश्मन छुपाओ तुम मगर क्या फ़ाएदाकहती है ख़ुद चाह की चितवन निगाहें प्यार की
सुमन मिश्रा
पद
प्रातसमय रघुवीर जगावे कौसल्या महरानी ।
सुन प्रिय वचन उठे रघुनन्दन नैनन पलख उघारी ।चितवन अभय देत भक्तन को मुक्त भये नर नारी ।
माधव महाराज
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
नवला मुरि बैठनु चितै यह मन होत विचार।कोमल मुख सहि ना सकत पिय चितवन को मार।।110।।