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सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
सहजो कहती हैः— चरन छुए सब गति मत पलटैं पारस जैसे लोह सुना।
भारतीय साहित्य पत्रिका
दोहा
शर्फ सिर्फ मायल करे, दर्द कछू न बसाय।
शर्फ सिर्फ मायल करे, दर्द कछू न बसाय।गर्द छुए दरबार की, सो दर्द दूर हो जाय।।
शैख़ शरफ़ुद्दीन यहया मनेरी
ना'त-ओ-मनक़बत
जब ख़याल-ए-शह-ए-नव्वाब दर-ए-दिल को छुएइ'श्क़-ओ-मस्ती के हसीं रंग बिखर जाते हैं