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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ना'त-ओ-मनक़बत
जो आ’शिक़-ए-जमाल-ए-हबीब-ए-ख़ुदा नहींक़िस्मत में उस की हज़रत-ए-हक़ की लिक़ा नहीं
शाह अकबर दानापूरी
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ना'त-ओ-मनक़बत
दिल-रुबा है किस क़दर शान-ए-जमाल-ए-ग़ौस-ए-पाकहै जहाँ शैदा-ए-हुस्न-ए-बे-मिसाल-ए-ग़ौस-ए-पाक
शकील बदायूँनी
ग़ज़ल
ऐ 'अक्स-ए-जमाल-ए-लम-यज़ली ऐ शम-ए'-तजल्ला क्या कहनाऐ नूर-ए-हिजाबात-ए-फ़ितरत ऐ हुस्न-ए-सरापा क्या कहना
मंज़ूर आरफ़ी
ना'त-ओ-मनक़बत
जमाल-ए-हैदरी और अ'क्स-ए-मुस्तफ़ा हूँ मैंकहा हुसैन ने दिल बंद-ए-फ़ातिमा हूँ मैं
फ़राज़ वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
जमाल-ए-ख़ास यज़्दानी मु'ईनुद्दीन अजमेरीसरापा नूर-ए-रहमानी मु'ईनउद्दीन अजमेरी
अ’ली इमाम ख़ान
ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ तू जमाल-ए-किब्रिया हुस्न-ए-रुख़-ए-पयम्बरीख़ानूँ लक़ब स'ईद-ए-दीं क़ासिम-ए-गंज-ए-सरवरी
ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी
फ़ारसी कलाम
आ’शिक़ाँ अंदर जमाल-ए-ख़ूब-रूयाँ माँदःअंदनुस्ख़ा-ए-हमराह-ए-आँ नाम-ए-इलाही ख़वाँदःअंद