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Sufinama

ख़्वास्त ता बीनद जमाल-ए-ख़्वेशतन

रूमी

ख़्वास्त ता बीनद जमाल-ए-ख़्वेशतन

रूमी

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    ख़्वास्त ता बीनद जमाल-ए-ख़्वेशतन

    बस्त नक़्शे बर जमाल-ए-ख़्वेशतन

    वह अपनी सुंदरता देखना चाहता था

    इसलिए उसने अपनी सुंदरता की एक छवि बनाई

    बर मिसाल-ए-ख़्वेशतन रा जल्व:-कर्द

    बा-जमाल-ओ-बा-जलाल-ए-ख़्वेशतन

    अपनी सुंदरता और महिमा के साथ

    उसने अपनी सारी महिमा दिखाई

    हेच कस आगाह न-बुद अज़ हाल-ए-ऊ

    लेक मी दानिस्त हाल-ए-ख़्वेशतन

    उसके हाल के बारे में किसी को ख़बर नहीं थी

    लेकिन वह अपने हाल से परिचित था

    कर्द आदम रा तजल्ली-गाह-ए-ख़ुद

    दीद दर दिल चूँ जमाल-ए-ख़्वेशतन

    उसने आदम को अपनी अभिव्यक्ति बनाया

    उसने हर जगह अपनी सुंदरता को देखा

    हेच कस जुज़ वै विसाल-ए-ऊ न-याफ़्त

    ऊस्त दायम दर विसाल-ए-ख़्वेशतन

    उसके अ’लावा किसी को उसका मिलन नसीब नहीं हुआ।

    वह अपने मिलन में सदा के लिए स्थापित है।

    आ'क़िबत दर गोश-ए-जानाँ शम्स गुफ़्त

    हर चे बूदश बा ख़याल-ए-ख़्वेश्तन

    आख़िरकार शम्स ने अपनी प्रेमिका के कान में कहा

    वो जैसा भी है अपने विचार के अनुसार है।

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