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सूफ़ी लेख
हकीम सय्यद शाह तक़ी हसन बल्ख़ी
बक़ा किसी को नहीं इस जहान-ए-फ़ानी मेंरहेगा हम में से क्या कोई जब नबी न रहे
अब्सार बल्ख़ी
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
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सलोक
फ़रीदा एस जहान विच तिन्ने टोल करेनि
फ़रीदा एस जहान विच तिन्ने टोल करेनिमिठा बोलन निव चलन हथहुं भि किझु देइन
बाबा फ़रीद
सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
शेख़ जमाली ने 10 ज़िल्क़ादह 1535/36 AD को इस जहान-ए-फ़ानी का परित्याग कर दिया.उनका देहांत गुजरात
सुमन मिश्र
सूफ़ी कहावत
ता अब्लहा दर जहान अस्त, मुफ़्लिस दर नमी मांद
जब तक दुनिया में मूर्ख मौजूद रहेंगे, ग़रीब बेबस नहीं होंगे।
वाचिक परंपरा
कलाम
क़ाज़ी उम्राओ अली जमाली
ना'त-ओ-मनक़बत
जहान-ए-बे-हक़ीक़त में हक़ीक़त ले के आया हूँमैं दिल में कमली वाले की मोहब्बत ले के आया हूँ
हामिद वारसी गुजराती
सलोक
फ़रीदा घरे दमामे मउत दे सगलि जहान सुने
फ़रीदा घरे दमामे मउत दे सगलि जहान सुनेजगु छतीह वपारे घाहै वागु लुने