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प्रभाती
प्रभाती -अजपा जाप सकल घट बरनै, शो जानै सोइ पेखा।
अजपा जाप सकल घट बरनै, शो जानै सोइ पेखा।गुरुगम जोति अगम घर बासा, जो पाया सोइ देखा।।
बावरी साहिबा
दोहा
अर्ध उर्ध मधि सुरति धरि जपै जु अजपा जाप
अर्ध उर्ध मधि सुरति धरि जपै जु अजपा जाप'दया' लहै निज धाम कूँ छुटै सकल संताप
दया बाई
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सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
जानगूढ गुरु जाप जू की साची सरनाय। छिन मांहि वासाजाय करैगो मसांन ए
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत रोहल की बानी- दशरथ राय
ओअहं सोअहं बेकथा, अजपा जाप प्रकास। अंतर धुन लगी आत्मा, निहचै भयो विसास।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
पद
कबीर नाम दे पींपा रैदास, भवसागर की काटी पासा
चारि बेद का मूल है, पंचम बेदका जाप।।कल्याणदास जन यू कहै, तहां पुण्य नहीं पाप।।
महात्मा कल्याणदास जी
सूफ़ी लेख
औघट शाह वारसी और उनका कलाम
इस डगरिया मिलें गोसाईं नदी नाव संजोगजाप जोग तप तीर्थ से निर्गुण हुआ न कोई
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
इक कुल देव्यां कौ जपहि जाप, त्रिभवनपति भूले त्रिविध ताप।।अंनहि छाड़ि इक पीवहि दूध, इत्यादि।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
पद
विरह -गगन तार गनत गइ रतिआ।।
अजपा जाप जाहिर भयो जबते, बिसरि गये दारा सुत नतिआ।।करनी काम किए जग जबते, करता तीनि सुभाव।
शिवनारायण
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
चरनदास-3. जाप करे तो पीव का ध्यान करै तो पीव। पिव बिरहिन का जीव है, जिव विरहिन का पीव।
सम्मेलन पत्रिका
बैत
बंदे देख ले दरहाल वे ।
सुन ले सोहंसो जाप कूँ, सुन में सिलहरा बाँध वे ।सेस के सिर ध्यान धरिये, उलट स्वर कूँ साध वे ।।