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ना'त-ओ-मनक़बत
है इंतिहा से बढ़ कर जोश-ओ-ख़रोश अपनाउस दिल में मौजज़न है दरिया अबुल-उ'ला का
शाह अकबर दानापूरी
नज़्म
सम्त-ए-काशी से चला जानिब-ए-मथुरा बादल
मिरी आँखों में समाता नहीं ये जोश-ओ-ख़रोशकिसी बेदर्द को दिखला ये करिश्म: बादल
मोहसिन काकोरवी
फ़ारसी कलाम
फ़ुरूद-ए-मस्ती-ओ-जोश-ओ-ख़रोश मस्ताँ राहवा-ए-नश्शः ब-शैख़ान-ए-होशियार आवुर्द
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
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फ़ारसी कलाम
ज़ोहद-ओ-तक़्वा दर फ़िगंदम ज़ेर-ए-पा-ए-आँ-सनममज़्हबम इ'श्क़स्त-ओ-रिंदी मश्रबम जोश-ओ-ख़रोश
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ग़ज़ल
हक़ीक़ी दोस्ती वो है हो जिस में जोश-ओ-ख़रोशनशात-ए-रूह न हो जिस में ख़ुश-दिली क्या है
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
फ़ारसी कलाम
हस्तम अज़ सुब्ह-ए-अज़ल दर मस्ती-ओ-जोश-ओ-ख़रोशख़ुर्द:-अम मन जाम-ए-मय अज़ दस्त-ए-ख़म्मारे दिगर
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ना'त-ओ-मनक़बत
रहा जोश-ए-मोहब्बत का यूँ ही गर मौजज़न तूफ़ाँफ़िदा हो जाएँगे हम आप पर या हज़रत-ए-जीलाँ
अ’ली इमाम ख़ान
कलाम
तेरे मय-ख़ाना में ऐ साक़ी ये कैसा जोश हैदेखिए जिस रिंद को भी बे-ख़ुद-ओ-मदहोश है
अब्दुल हादी काविश
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़िरदौसी ने शाही सर-परस्ती शुक्रिया के साथ मंज़ूर की और पूरे जोश-ओ-ख़रोश के साथ अश्आ’र नज़्म
ज़माना
फ़ारसी कलाम
जोश ज़द मस्ती व चश्म-ए-दिलबराँ मय-ख़ान: शुदमुश्त-ए-ख़ाक-ए-मय परस्ताँ चर्ख़ ज़द-ओ-पैमान: शुद