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शबद
बिंती और प्रार्थना का अंग - प्रभू को तन मन धन सब दीजै
प्रभू को तन मन धन सब दीजैरैन दिवस चित अनत न जावै नाम पदारथ पीजै
गुलाल साहब
कलाम
सईद आरफ़ी
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
चरनदास परनाम करि तन मन धन वारन दियो।।1।।गंग जमन कैं बीच जहाँ निज डेरा दीन्हाँ।
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साखी
सतसंग का अंग - मन दीया कहुँ औऱही तन साधुन के संग
मन दीया कहुँ औऱही तन साधुन के संगकहै 'कबीर' कोरी गजी कैसे लागै रंग
कबीर
दोहा
मन जोगी तन की मढ़ी सेत गूदरी ध्यान
मन जोगी तन कि मढ़ी सेत गूदरि ध्याननैनाँ जल बिरह धोएँ बिच्छा दरसन जान
बरकतुल्लाह पेमी
राग आधारित पद
मोहन बिरहा सताए रे राजा मोरा
तन-मन धन सब तुम पर वाराजोगिनियाँ बनाए रे राजा मोरा
अब्र मिर्ज़ापुरी
होली
लाल-गुलाल अबीर दरस छाबि देखत नाँचत ज्यों मतवारीऐसे खेल पे ‘पेमी’ सरवस तन-मन-धन कीजै बलिहारी