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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
सूफ़ी कहानी
बादशाह का एक दरख़्त की तलाश करना कि जो उस का मेवा खाए वो ना मरे- दफ़्तर-ए-दोउम
एक अ’क़्ल-मंद ने क़िस्से के तौर पर बयान किया कि हिन्दोस्तान में एक दरख़्त है जो
रूमी
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बैत
तलाश में हैं गुरेज़ाँ वुजूद के ज़र्रात
तलाश में हैं गुरेज़ाँ वुजूद के ज़र्रातकहाँ से आए कहाँ जाएँगे ख़ुदा मा'लूम
क़मर बदायूँनी
सूफ़ी उद्धरण
इन्सान का दिल तोड़ने वाला शख़्स अल्लाह की तलाश नहीं कर सकता।
इन्सान का दिल तोड़ने वाला शख़्स अल्लाह की तलाश नहीं कर सकता।
वासिफ़ अली वासिफ़
ग़ज़ल
इस ज़माने में है हर शख़्स को दुनिया की तलाशबस ग़नीमत है जिसे कुछ भी हो उ'क़्बा की तलाश
शाह तुराब अली क़लंदर
ग़ज़ल
जो किसी पे आप न कर सके मुझे उस जफ़ा की तलाश हैरहे जिस से आप भी बे-ख़बर मुझे उस अदा की तलाश है
मयकश अकबराबादी
ग़ज़ल
जो किसी पर आप न कर सके मुझे उस जफ़ा की तलाश हैरहे जिस से आप भी बे-ख़बर मुझे उस अदा की तलाश है
मयकश अकबराबादी
कलाम
तिरे ग़म को जाँ की तलाश थी तिरे जाँ-निसार चले गएतिरी रह में करते थे सर तलब सर-ए-रहगुज़ार चले गए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
सूफ़ी उद्धरण
बदी की तलाश हो तो अपने अंदर झाँको, नेकी की तमन्ना हो तो दूसरों में ढूंढ़ो।
बदी की तलाश हो तो अपने अंदर झाँको, नेकी की तमन्ना हो तो दूसरों में ढूंढ़ो।
वासिफ़ अली वासिफ़
ना'त-ओ-मनक़बत
फ़राज़ वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
दुनिया की है मुझे आरज़ू न तो माल-ओ-ज़र की तलाश हैमुझे बा’द-ए-मर्ग भी वारिसा तेरी इक नज़र की तलाश है