आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तासीर-ए-मोहब्बत"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "तासीर-ए-मोहब्बत"
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
सूफ़ी साहित्य
दूसरा बाब - मा'रिफ़त-ए-तासीर-ए-आ’लम और चौथा बाब:- रियाज़त और उस की कैफ़ियत
दूसरा बाबमा'रिफ़त-ए-तासीर-ए-आ’लम
ग़ौस ग्वालियरी
ग़ज़ल
छुड़ा देती है फ़िक्र-ए-ग़ैर से तासीर-ए-मय-ख़ानामिली है अ’र्श की ज़ंजीर से ज़ंजीर-ए-मय-ख़ाना
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "तासीर-ए-मोहब्बत"
ग़ज़ल
न छोड़ा मुतमइन उन को भी तासीर-ए-मोहब्बत नेयहाँ आँखों से ख़ूँ टपका तो रंग-ए-रुख़ वहाँ बदला
नश्तर जायसी
कलाम
ज़हीन शाह ताजी
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु ने फ़रमाया था:परवाने को चराग़ है, बुलबुल को फूल बस
मुनादी
शे'र
महकने को गुल-ए-दाग़-ए-मोहब्बत दिल में है अपनेखटकने को है ख़ार-ए-हसरत-ए-दीदार आँखों में
कैफ़ी हैदराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
पैकर-ए-ख़लक़-ओ-मोहब्बत हैं शह-ए-तेग़-ए-अ’लीसाहब-ए-किरदार-ओ-सीरत हैं शह-ए-तेग़-ए-अ’ली
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
शे'र
उ’मूमन ख़ाना-ए-दिल में मोहब्बत आ ही जाती हैख़ुदी ख़ुद-ए’तिमादी में बदल जाये तो बंदों को