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सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
तफ़्सील-ए-प्रोग्राम-ए-सालानाः-’उर्स हज़रत मख़्दूम सय्यद शाह दरवेश अशरफ़ रहमतुल्लाह अ’लैह
मुनीर क़मर
साखी
प्रेम का अंग - जोगी जंगम सेवड़ा सन्यासी दरवेश
जोगी जंगम सेवड़ा सन्यासी दरवेशबिना प्रेम पहुँचै नहीं दुरलभ सतगुरु देस
कबीर
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कुंडलिया
बंदा बाजी झूठ है, मत सांची करमान।
कहा दीन दरवेश, सकल माया का धंधा।मत सांची कर मान, झूठ है बाजी बंदा।।
दीन दरवेश
कुंडलिया
हिंदू कहें सो हम बड़े, मुसलमान कहें हम्म ।
कहै दीन दरवेश, दोय सरिता मिलि सिन्धू।सब का साहब एक, एक मुसलिम एक हिन्दू।।
दीन दरवेश
गूजरी सूफ़ी काव्य
'बाजन' प्रिती दरवेश की जिस देवे कर्तार
'बाजन' प्रिती दरवेश की जिस देवे कर्तारइस जग मियाने राज करे उस जग उतरे पार
शैख़ बहाउद्दीन बाजन
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
गर ज़रत अज़ अ’दद बुवद बेश ।दरवेश नवाज़ बाश-ओ-दरवेश ।।
फ़रोग़-ए-उर्दू
दकनी सूफ़ी काव्य
मसनवी गुलशने इश्क़
......... ........... ............. ............ तुजवहीं जाओ दरवेश धर के रज
नुसरती
कुंडलिया
माया-माया करत है, खरच्या खाया नाहिं।
माया-माया करत है, खरच्या खाया नाहिं।सो नर ऐसे जाहिंगे, ज्यों बादर की छाहिं।।
दीन दरवेश
दकनी सूफ़ी काव्य
मसनवी दर फ़वायद बिस्मिल्ला
कहे हम हैं दरवेश बरगश्त हालहमारी है सूरत बशक्ले हाल
गुलामनबी हैदराबादी
सूफ़ी लेख
कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
योगी, जंगम, शेवडा, सन्यासी दरवेश। छठवां कहिये ब्राह्मणहि, छौ घर छौ उपदेश।।