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सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह - श्री अविनाश कुमार श्रीवास्तव
राजदरबार में पद- मुगल साम्राज्य में मंसबदारी की प्रथा बहुत समय से चली आती थी। इसमें
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
दारा शिकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता
बाबा लाल – हृदय हमारे मन का दलाल है।23-दारा शुकोह – यह बात हम कैसे जान सकते है?
सुमन मिश्र
फ़ारसी कलाम
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
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सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह
राजदरबार में पद- मुगल साम्राज्य में मंसबदारी की प्रथा बहुत समय से चली आती थी। इसमें
अविनाश कुमार श्रीवास्तव
दोहरा
किथे शाह सकन्दर दारा
किथे शाह सकन्दर दारा अते जाम ग्या कित जम दाथिड़कन देउ जिन्हाँ दी तेग़ों अते धौल प्या नित कम्बदा
हाशिम शाह
सूफ़ी लेख
Indian Sufism
बंगाल के सुल्तान हुसैन (१४९३ -१५१९) और उसके पुत्र नुसरत शाह ने बंगाली वैष्णव साहित्य को
सुमन मिश्र
महाकाव्य
।। अंगदर्पण ।।
विष काजर निज खाय के जिय औरन के लेत।।41।।दृग दारा लखि ज्यों लह्यो दीपक जातक भाय।
रसलीन
पद
विरह -गगन तार गनत गइ रतिआ।।
अजपा जाप जाहिर भयो जबते, बिसरि गये दारा सुत नतिआ।।करनी काम किए जग जबते, करता तीनि सुभाव।
शिवनारायण
सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
तंग गली अधियारा कोना सभी अकेले जाते हैं। यहाँ था दारा यहाँ सिकंदर सोते हैं सब भवन के अंदर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
कज़ बे-ख़ुदी न-दानम अहवाल-ए-मुल्क-ए-दाराज़ीं बहर-ए-बे-निहायत दर पेच-ओ-ताब मांदम