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शबद
अलखदास आखै सुन लोई दुई दुई मत कहो भाई कोई
अलख-दास आखै सुन लोई दुई दुई मत कहो भाई कोईजल थल म्हेल सरब निरंतर गोरखनाथ अकेला सोई
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
गूजरी सूफ़ी काव्य
दुई वजूद को मौजूद होना
दुई वजूद को मौजूद होनाये तो बात मुहाल है लोकाँ
शाह अली जीव गामधनी
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सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
तोरे नीके नीके नयनवां बलमहमरे तो तुम एक पीहरवा और नहीं दुई चार
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
तोरे नीके नीके नयनवां बलमहमरे तो तुम एक पीहरवा और नहीं दुई चार
सुमन मिश्र
दकनी सूफ़ी काव्य
जवाहर उल इसरारे अल्ला 1.2 हासिल सब कुरान का है इतना जानो
हासिल सब कुरान का है इतना जानोवहम दुई का दूर करो होर मुँझे पछानों
माशूक़ अल्लाह
दकनी सूफ़ी काव्य
इशारतुल ग़ाफ़िलीन
के जब अपने तर्ई यूँ करे ओ सहीतो रब होर उसमें न रह दी दुई
सय्यद मुहम्मद आशिक बारह आल
सूफ़ी लेख
संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
यह तत वह तत एक है एक प्रान दुई गात। अपने जिय से जानिये मेरे जिय की बात।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
अह्ल-ए-हक़ीक़तस्त ऊ क़ाएल ब-वह्दतस्त ऊहर्फ़-ए-दुई न-शुनवद कस अज़ लब-ए-क़लंदर
सुमन मिश्र
महाकाव्य
।। अंगदर्पण ।।
उठि जोबन में तुव कुचन मो मन मारयो धाय।एक पंथ दुई ठगन ते कैसे कै बचि जाय।।130।।
रसलीन
दकनी सूफ़ी काव्य
वसीयत उल हादी
दुई मुकाम राह चार समज कर मंजिल बी है चारफुरसत देना जब लग तुज कूँ जागा हो हुशियार