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पद
काहे को मग़रूर फिरे है अपने दौलत धन से
काहे को मग़रूर फिरे है अपने दौलत धन सेकाहे को रखता है इस को ऐ मतहीन जतन से
कवि दिलदार
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
मुट्ठी बाँधके आनेवाले हाथ पसारे जायेगाधन दौलत जागीर से तूने क्या पाया क्या पायेगा
सुमन मिश्रा
शबद
कैसा बनाया भगवान, खिलौना माटी का ।
धन-दौलत तू खूब कमाया, अन्त समय तेरे काम न आया ।लिया न हरि का नाम, खिलौना माटी का ।।
स्वामी आत्मप्रकाश
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पद
ककहरा - फफ्फा फूलै फूले फिरें देखि धन धाम बड़ाई
फफ्फा फूलै फूले फिरें देखि धन धाम बड़ाईतन फुलेंल और तेल चाम को चुपरें भाई
तुलसी साहिब हाथरस वाले
सलोक
फ़रीदा गुर बिन न वड्याईआं धन जोबन असगाह
फ़रीदा गुर बिन न वड्याईआं धन जोबन असगाहखाली सले धनी स्यु टिबे ज्यु मियाह
बाबा फ़रीद
सूफ़ी उद्धरण
ग़रीबों में दौलत तक़सीम कर देना नेकी है, अमीरों से दौलत छीन लेना गुनाह।
ग़रीबों में दौलत तक़सीम कर देना नेकी है, अमीरों से दौलत छीन लेना गुनाह।
वासिफ़ अली वासिफ़
नज़्म
बंजारा-नामा
क़ज़्ज़ाक़ अजल का रस्ते में जब भाला मार गिरावेगाधन दौलत नाती पोता क्या इक कुम्बा काम न आवेगा
नज़ीर अकबराबादी
भजन
डरामा दुख की चोट
'संजर' कोई काम न आवे धन-दौलत सब यहीं रह जायेजाएगा तु हाथ पसारे जप ले हरि का नाम
संजर ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
किस कारण आया था जग में आने का क्या मतलब थाभूल के सब कुछ धन दौलत के पीछे हर इंसान फिरे
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
दिल में दर्द-ए-शह-ए-कौनैन की दौलत है बड़ीहूँ तो नादार मैं लेकिन मिरी क़ीमत है बड़ी