आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "परवान"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "परवान"
शबद
जिय तौं जोगी आप परवान बाहर भीतर एक कर जान
जिय तौं जोगी आप परवान बाहर भीतर एक कर जाननिज कै आँखों सुनहु विचार सरब निरंतर एक अंकार
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
सो ब्रह्म बतायो गुरु मंत्रहि माँहि।।जहँ जाइये तहँ जल परवान।
हिंदुस्तानी पत्रिका
अन्य परिणाम "परवान"
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
हमचु हिंदूज़न कसे दर आ'शिक़ी मर्दान: नेस्त,सोख़्तन बर शम्अ'-ए- मुर्द: कार-ए- हर परवान: नेस्त।।
माधुरी पत्रिका
फ़ारसी कलाम
गर रु-ए-दिले अज़ तरफ़-ए-शम्अ' न-दीद: अस्त'साएब' सबब-ए-जुर्अत-ए परवान: कुदाम अस्त
साएब तब्रेज़ी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ 'आशिक़ाँ ऐ 'आशिक़ाँ मन 'आशिक़-ए-फ़रज़ानः-अमबा-शम'-ए-वसलश दर जहाँ परवान:-अम परवान:-अम
रूमी
फ़ारसी कलाम
शो'ल:ए हुस्न-ए-अलम ज़द शम्अ' गर्म-ए-जल्व: गश्तशौक़-ए-बे ताक़त ब-वज्द आमद पर-ए-परवान: शुद
मिर्ज़ा मज़हर जान-ए-जानाँ
शबद
निज जेइ आत्म तेई जो नाथ बिरजैं एक और नाहीँ साथ
तीन त्रिलोक एक कर जानसरब निरंतर आप परवान