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Sufinama

ऐ 'आशिक़ाँ ऐ 'आशिक़ाँ मन 'आशिक़-ए-फ़रज़ानः-अम

रूमी

ऐ 'आशिक़ाँ ऐ 'आशिक़ाँ मन 'आशिक़-ए-फ़रज़ानः-अम

रूमी

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    'आशिक़ाँ 'आशिक़ाँ मन 'आशिक़-ए-फ़रज़ानः-अम

    बा-शम'-ए-वसलश दर जहाँ परवान:-अम परवान:-अम

    ’आशिक़ो ’आशिक़ो, मैं अक़्ल-मंद ’आशिक़ हूँ

    मैं दुनिया में उस के वस्ल के चराग़ का परवाना हूँ

    जानानः रा गुम कर्द:अम ता चंद ज़ीं सर-गश्तगी

    अज़ मा मशो ग़ाफ़िल चुनीं फ़र्ज़ानः-अम फ़रज़ानः-अम

    मेरा महबूब गुम हो गया है, ये आवारगी कब तक

    मुझे यूँ मत छोड़ो, मैं ’अक़्ल-मंद हूँ, मैं ’अक़्ल-मंद हूँ

    दादम सला-ए-नागहाँ अंदर ज़मीन-ओ-आसमाँ

    ईनक मुनादी मी-ज़नम मय-ख़ान:अम मय-ख़ान:अम

    मैंने ज़मीन-ओ-आसमान में एक आवाज़ लगाई थी

    अब मैं ये आवाज़ लगाता फिर रहा हूँ, मैं मय-ख़ाना हूँ मैं मय-ख़ाना हूँ

    गर तालिब-ए-गंज-ए-बिया ता मन निशान-ए-गोयमत

    ब-शिनो ज़ मन आँ गंज रा वीरान:-अम वीरान:-अम

    अगर खज़ाने के तालिब हो तो आओ, मैं तुम्हें उस का पता बताता हूँ

    मुझे उस खज़ाने के बारे में जान लो, मैं वीराने में हूँ, मैं वीराने में हूँ

    चाबुक सवार-ए-हज़्रतम इमशब मरा तुंदस्त ख़ू

    अंदर मियान-ए-क़ल्ब-हा मर्दानः-अम मर्दानः-अम

    मेरे जिस्म का सवार आज की रात बहुत तेज़-मिज़ाज है

    मेरे दिल के अंदर दिलेरी है, दिलेरी है

    दर बहर-ए-सदफ़-ए-बे-कराँ बेज़ार गश्तम अज़ सदफ़

    चूँ मन सदफ़ ब-गुज़ाश्तम दुर्दनः-अम दुर्दानः-अम

    मैं ला-महदूद सदफ़ के समुंदर में सदफ़ से बे-ज़ार हो गया हूँ

    जब मैंने सदफ़ का ख़याल तर्क कर दिया तो ख़ुद ही सदफ़ हो गया, सदफ़ हो गया

    'शम्स'-ए-तबरेज़ी बिया अज़ मा चरा बेगानः-ई

    कज़ हर चे ग़ैर-ए-हक़ बुवद बेगान:-अम बेगान:-अम

    ‘शम्स’ तबरेज़ी आओ, मुझ से बे-गाना क्यूँ हो

    इसलिए कि मैं ख़ुदा के ’इलावा सब से बे-गाना हूँ, बे-गाना हूँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-शम्स तबरेज़ी (पृष्ठ 511)

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