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ग़ज़ल
गए होश-ओ-ख़िरद इश्क़-ए-लब-ए-जाँ-बख़श-ए-जानाँ मेंक़यामत है हमारी नाव डूबी आब-ए-हैवाँ में
रज़ा फ़िरंगी महल्ली
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ना'त-ओ-मनक़बत
है लब-ए-ईसा से जाँ-बख़्शी निराली हाथ मेंसंग-रेज़े पाते हैं शीरीं मक़ाली हाथ में
अहमद रज़ा ख़ान
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ज़ुल्फ़ आशुफ़्तः-ओ-ख़ूए-कर्दः-ओ-ख़ंदँ-लब-ओ-मस्तपैरहन चाक-ओ-ग़ज़ल-ख़्वान-ओ-सुराही दर दस्त
हाफ़िज़
कलाम
ख़्वाजा हैदर अली आतिश
ना'त-ओ-मनक़बत
क्या नाम मेरे लब पे ये आया शरफ़ुद्दीनक्या नाम-ए-ख़ुदा नाम है प्यारा शरफ़ुद्दीन