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सूफ़ी कहानी
दूरबीँ-अंधा, तेज़ सुनने वाला बहरा, और दराज़-दामन नंगा - दफ़्तर-ए-सेउम
बच्चे बहुत से मन घड़त क़िस्से कहते हैं। उन कहानियों और पहेलियों में बहुत से राज़
रूमी
राग आधारित पद
ध्रुपद खम्माच- बंसी मुख सों लगाय ठाढ़े श्री राधा वर।
बंसी मुख सों लगाय ठाढ़े श्री राधा वर।मधुर मधुर बजत धुन सुन सब गोपी बेहाल।।
फरहत
ना'त-ओ-मनक़बत
क्यूँ न हो मिस्ल-ए-'ज़िया' मद्दाह उन का बहरा-वरफ़र्श से है ’अर्श तक हुक्म-ए-रवाँ शहबाज़ का
इश्तियाक़ आलम शहबाज़ी
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सूफ़ी लेख
दानापुर - सूफ़ियों का मस्कन
दानापुर की सर-ज़मीन जो औलिया ए किराम का मस्कन और इल्म की रौशनी और मीनार है
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी कहावत
हर कुजा तू बा मनी, मन ख़ुशदिलम, वर बूवद दर क़ा'र चाही मंज़िलम।
मुझे खुशी है जहाँ तू मेरे साथ है, चाहे मुझे कुएँ की गहराई में रहना पड़े।
वाचिक परंपरा
सूफ़ी साहित्य
रिसाल:-ए-साहिबिया
ऐ कि तेरे चेहरे पर अनवार-ए-इलाहिया का परतव मौजूद है इस नूर से तू दूसरों को