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सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
अरथ दरव सो देइ बहाई। की सब जाहु न जाइ पियाई।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
राग आधारित पद
होरी-काफी- नन्द के नन्द देखो होरी मचाई।
खींच लई मोरी नाजुक बहियां, सारी गगरिया बहाई।देत मैं राम दोहाई।।
मुश्तरी
गूजरी सूफ़ी काव्य
जुलेख़ा का क्रोध
नैन सूं पूर आँझूँ के बहाई,ज़बां सूं उन सुख़न यूंकर चिल्लाई।
अमीन गुजराती
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सूफ़ी लेख
हज़रत सैयद ज़ैनुद्दीन अ’ली चिश्ती
मज़हब की उस राह पर जिस पर गुनाह दूर हो गए।पाप दीन्ह मैं गंग बहाई
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
सूफ़ी लेख
भक्ति आंदोलन और सुल्ह-ए-कुल
यह सहमति का सिद्धांत ही भारत में सुलह ए कुल के नाम से विख्यात हुआ। भारतीय
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
कबीर और शेख़ तक़ी सुहरवर्दी
उनके एकांतिक प्रेम पुष्ट वेदान्त कि शिक्षाओं ने कबीर को प्रभावित किया होगा इससे इंकार नहीं
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
दिल्ली शहर को बाईस ख्व़ाजा की चौखट भी कहा जाता है। इस शहर ने हिन्दुस्तानी तसव्वुफ़
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
डर्हम के बिशप को भी विक्टोरिया के समय में कहना पड़ा था कि “मिस्टिक लोगों में