आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बहार-ए-गुल-फ़िशाँ"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "बहार-ए-गुल-फ़िशाँ"
ग़ज़ल
मीनू बख़्शी
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
सरसब्ज़ गुल की रखे ख़ुदा हर रविश बहारऐ बाग़बाँ नसीब हो तुझ को बला-ए-गुल
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "बहार-ए-गुल-फ़िशाँ"
शे'र
सरसब्ज़ गुल की रखे ख़ुदा हर रविश बहारऐ बाग़बाँ नसीब हो तुझ को बला-ए-गुल
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
ना'त-ओ-मनक़बत
बहार-ए-बाग़-ए-जन्नत है बहार-ए-रौज़ा-ए-साबिरज्वार-ए-अ’र्श-ए-आ’ला है ज्वार-ए-रौज़ा-ए-साबिर
बेदम शाह वारसी
कलाम
फिर बहार आई चमन में ज़ख़्म-ए-दिल आए हुएफिर मिरी दाग़-ए-जुनूँ आतिश की पर काले हुए
इमाम बख़्श नासिख़
कलाम
पीर नसीरुद्दीन नसीर
शे'र
ख़ुदा रक्खे अजब कैफ़-ए-बहार-ए-कू-ए-जानाँ हैकि दिल है जल्वः-सामाँ तो नज़र जन्नत-ब-दामाँ है
अफ़क़र मोहानी
कलाम
नुमायाँ कर दिया उस ने बहार-ए-रू-ए-ख़ंदाँ कोकि दी नग़्मे को मस्ती रंग कुछ सेहन-ए-गुलिस्ताँ को
असग़र गोंडवी
ग़ज़ल
चेहरे पे कुछ मुसर्रत-ए-फ़स्ल-ए-बहार क्या हैदिल में अलम की शिद्दत-ए-फ़स्ल-ए-बहार क्या है