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ना'त-ओ-मनक़बत
मुज़्दा-बाद ऐ 'आसियो शाफ़े'-ए-शह-ए-अबरार है
तहनियत ऐ मुजरिमो ज़ात-ए-ख़ुदा ग़फ़्फ़ार है
अहमद रज़ा ख़ान
ना'त-ओ-मनक़बत
सुन ऐ बाद-ए-सबा तु जानिब-ए-तैबः अगर गुज़रे
तू जा कर थामना बाब-ए-हरीम-ए-ख़ास के पर्दे
मुज़्तर ख़ैराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
सुन ऐ बाद-ए-सबा तू जानिब-ए-तैबा अगर गुज़रे
तो जा कर थामना बाब-ए-हरीम-ए-ख़ास के पर्दे
मुज़्तर ख़ैराबादी
फ़ारसी कलाम
जोश ज़द मस्ती व चश्म-ए-दिलबराँ मय-ख़ान: शुद
मुश्त-ए-ख़ाक-ए-मय परस्ताँ चर्ख़ ज़द-ओ-पैमान: शुद
मिर्ज़ा मज़हर जान-ए-जानाँ
ना'त-ओ-मनक़बत
ये दे देना ख़बर बाद-ए-सबा अजमेर वाले को
कि करता याद है इक मुब्तला अजमेर वाले को
शाह मस'ऊदुल हसन
ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ बाद-ए-सबा कमली वाले से जा के कहियो पैग़ाम मिरा
क़ब्ज़े से उम्मत बेचारी के दीं भी गया दुनिया भी गई
अल्लामा इक़बाल
कलाम
फ़स्ल-ए-गुल में रंग मस्ती का जमाना चाहिए
उठ के मस्जिद से सू-ए-मय-ख़ाना जाना चाहिए
इम्तियाज़ हुसैन वाक़िफ़
ग़ज़ल
हिजाब-ए-ख़ास के पर्दे उठे हैं कैफ़-ओ-मस्ती में
न जाने किस की हस्ती देखता हूँ अपनी हस्ती में