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पद
स्वजीवन के पद - माई म्हाँने सुपने में परण गया जगदीश
माता गैली दीखे मीराँ बावली सपनो आल जंजाल'मीराँ माई म्हाने सुपने में परण गया गोपाल
मीराबाई
पद
स्वजीवन के पद - तू मत बरजे माइड़ी साधां दरसन जाती
'मीराँ गेली दुनियाँ बावली ज्यांकूँ राम न भावैज्याँके हृदय हरि बसे त्याँ कूँ नींद न आवै
मीराबाई
ना'त-ओ-मनक़बत
मरीज़ों को शिफ़ा है बावली में और जहाँ 'आशिक़शिफ़ा-ख़ाना 'अजब तेरा 'अजब सामान-ए-महबूबी
अकबर वारसी मेरठी
सूफ़ी लेख
लखनऊ का सफ़रनामा
ख़ैर बात कहाँ चल रही थी और हम कहाँ चले गए। अल-ग़र्ज़ इस ’इमारत का बालाई
रय्यान अबुलउलाई
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सूफ़ी लेख
सूर की सामाजिक सोच, डॉक्टर रमेश चन्द्र सिंह
भूल यह थी कि महाराने के पाण्डे न बच्चों को जाति-पाँति के भेद-भाव से ऊपर नहीं
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
इसी तर्तीब से आगे बढ़ा। दरगाह शरीफ़ क़रीब ही है। थोड़ी देर में वहाँ पहुँच गए।